अक्सर ईसाई धर्म के लोग 666 नंबर को बुरा मानते हैं। अगर उनके मोबाइल नंबर के बीच मे या कहीं पर 666 हैं तो वे इसको बदलवाने की सोचते हैं। इसी तरीके से अगर किसी सड़क या गली का नंबर 666 आता है तो वे इसको भी बदलने की कोशिश करते हैं। क्योंकि उनको यह लगता है कि यह मनहूस है। तो क्या वाकई इस बात में कोई सच्चाई है??
क्यों ईसाई धर्म का हर व्यक्ति इस नंबर से भागता और इसे मनहूस समझता है?? क्या है 666 नंबर के पीछे की कहानी जानेंगे आज के इस लेख में
666 नंबर क्या है
666 का मतलब यह है कि यह शैतान का नंबर है। यानि बाइबल के अंदर यह बताया गया है कि यह उस शैतान का नंबर है जो प्रभु की शिक्षाओं को नष्ट करने का प्रयास करता है। और जो इस नंबर को अपने पास रखता है या कहीं पर देखता है तो वह ईसाई धर्म का विरोधी हो जाता है। प्रभु का विरोध करने वाला पापी होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 666 नंबर को एक अशुभ नंबर के तौर पर देखा जाता है। और उसके बाद तो आप जानते ही हैं कि इसको इंटरनेट के माध्यम से और तेजी से फैलाया गया और अब लोग को दिमाग मे यह अच्छी तरह से बैठ चुका है कि यह एक अशुभ नंबर है।
666 का इतिहास
प्राचीन काल के अंदर लोग अपने गुलाम के उपर यह संख्या लिख देते थे । उनके अनुसार ऐसा करने से कोई उसकी खरीद और बिक्री नहीं कर सकता था। क्योंकि 666 लिखें हुए गुलाम की खरीद करना बुरा माना जाता था। यह भी अपने गुलाम को सुरक्षित रखने का एक अच्छा तरीका था।
सम्राट नीरो से भी जुड़ा इसका इतिहास
सम्राट नीरों काफी बुरा इंसान था। उसने अपनी पहली पत्नी को मार डाला और उसके बाद दूसरी पत्नी को भी मार डाला जब वह गर्भवति थी। इसके अलावा वह ईसाई धर्म मानने वालों का विरोधी था। इस वजह से उसको 666 नंबर से बताया गया था। मतलब कि वह शैतान का दूत था या शैतान के लिए काम करता था।इस वजह से जिन लोगों के पास यह नंबर होता है उनको अशुभ माना जाता है या कहें कि वे धर्मविरोधी भी हो सकते हैं।
नेगेटिविटी को दर्शाता है ये नंबर
ऐसा बाइबल के अंदर लिखा गया है कि जब प्रभु संसार का नाश करेगा तो वह जिस किसी के पास 666 नंबर लिखा हुआ पायेगा तो क्रोध से भड़क उठेगा। हालांकि कुछ लोगों का यह तर्क है कि इसी वजह से 666 नंबर को अशुभ माना जाता है। और ईसाई धर्म के लोग इस नंबर को कहीं पर भी लिखकर या खुदवाकर नहीं रखते हैं। ईसाई धर्म के एक लेख के अंदर यह बताया गया है कि 666 इस वजह से अशुभ नंबर माना जाता है । क्योंकि इस नंबर की मदद से शैतान को बुलाया जाता है। और प्राचीन काल के अंदर कुछ दुष्ट प्रक्रति के लोग इन नंबर का प्रयोग करके शैतान को बुलाते थे ।
अन्य धर्मों में क्या है इसके मायने
ईसाई धर्म के अंदर ही नहीं वरन दुनिया के कई अन्य धर्म के अंदर भी 666 को जाना जाता है।यहोवा के साक्षियों के लिए, गैर-मुख्यधारा ईसाई धर्म का एक अनूठा संप्रदाय, 666 भगवान के विरोध में दुनिया की एकीकृत सरकारों का प्रतिनिधित्व करता है। साक्षी नंबर सात को पूर्णता के संकेत के रूप में देखते हैं, इसलिए 666 यहोवा की नज़र में विफलताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।जबकि कबालीवादी यहूदी धर्म में, 666 दुनिया और उसकी कृतियों की पूर्णता का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके अनुसार दुनिया 6 दिन के अंदर बनाई गई थी और वे 6 को भगवान के अक्षरों के बराबर मानते हैं।
Discussion about this post