जैसे-जैसे इंसान तरक्की कर रहा है… उसके नतीजे और भी ज्यादा भयानक होते जा रहे हैं…. भयानक इसलिए क्योंकि जो चीजें इंसान से छुपी थीं, उनका भी पता उसे लगने लगा है…. आप कहेंगे कि ये तो अच्छा ही है, आखिर इंसान के सामने कोई भी चीज राज जैसी नहीं रहेगी… पर सच तो ये है कि कुछ राज छुपे हुए हों तो अच्छा होता है.. जैसे इंसान की मौत का समय. पर वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित मॉडल बनाया है, जो इंसान का डाटा लेकर उसके भविष्य के बारे में सटीक जानकारी दे सकता है, इसमें उसकी मौत का समय भी शामिल है.
वैज्ञानिकों नेे नई खोज कर एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित मॉडल बनाया है… जो इंसान का डाटा लेकर उसके भविष्य के बारे में सटीक जानकारी दे सकता है… इसमें उसकी मौत का समय भी शामिल है…. जैसे-जैसे इंसान तरक्की कर रहा है, उसके नतीजे और भी ज्यादा भयानक होते जा रहे हैं…. भयानक इसलिए क्योंकि जो चीजें इंसान से छुपी थीं… उनका भी पता उसे लगने लगा है….
एक रिपोर्ट के अनुसार इस एआई मॉडल का नाम है Life2vec…. जिसे काफी ज्यादा मात्रा में डाटा के साथ तैयार किया गया है.. और इसी के जरिए ये भविष्य का पता लगाता है… इसे डेनमार्क और यूएस के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है…. इस मॉडलको पहले 60 लाख डैनिश लोगों के डाटा दिए गए… जैसे जन्म की तारीख, स्कूल, शिक्षा, सैलेरी, हाउसिंग और स्वास्थ्य…. इस आधार पर एआई मॉडल ने अंदाजा लगाया कि आगे क्या हो सकता है…
इसके निर्माताओं का कहना है… कि ये इस आधार पर लोगों की मौत का पता भी लगा सकता है… इस मॉडल को 35 से 65 साल के लोगों पर टेस्ट किया गया.. जिनमें से आधे लोग तो 2016 से 2020 के बीच मर चुके थे.. तो इस मॉडल ने 78 फीसदी सटीक उत्तर देते हुए बता दिया… कि कौन मरेगा और कौन जिएगा…. टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट की रिसर्च टीम को प्रोफेसर सुने लीमैन लीड कर रहे थे… उन्होंने बताया कि मॉडल को डेनमार्क के डाटा के आधार पर तैयार किया गया था… तो मुमकिन है कि ये दूसरे देशों के डाटा को सही ना जांच पाए….
उन्होंने कहा कि ऐसे मॉडल कंपनियों के हाथों में नहीं जाने चाहिए…. उन्होंने कहा कि गौर करने वाली बात ये है कि हमारे मॉडल का उपयोग किसी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बीमा कंपनियां इसी आधार पर लोगों के पैसे चुकाती हैं. फिलहाल ये मॉडल आम जनता के इस्तेमाल के लिए नहीं है. पर प्रोफेसर का मानना है कि ऐसे मॉडल्स को कंपनियां पहले से ही बना चुकी हैं और ऐसे डाटा का आदान प्रदान कर रही हैं. इस तरह के मॉडल से असामयिक मौत से भी बचा जा सकता है…
टेक्नॉलोजी बढ़ रही जो इंसान के लिए घातक भी है और फायदेबंद भी.. मोबाइल का ही उदहारण ले लीजिये… ये जहां आज के दौर में बहुत उपयोगी.. पर इसे डिसएडवांटेज भी बहुत है…. तो वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित मॉडल जहां किसी को असामयिक मौत की बचान की कुवत्त रखता है.. तो वहीं खतरनाक भी साबित हो सकता है…
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