अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ेंगे। कन्नौज से जीतने के बाद अखिलेश यादव केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो जाएंगे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद उनके चाचा शिवपाल यादव या पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) के किसी विधायक को मिल सकता है।
अखिलेश यादव, जो यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। सपा को संसदीय राजनीति में आगे बढ़ाने के बाद अब वह केंद्र की राजनीति पर ध्यान देंगे।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद शिवपाल यादव या पीडीए के तीन विधायकों – रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज और कमाल अख्तर में से किसी एक को मिल सकता है।
अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा देश की तीसरी बड़ी पार्टी बन गई है। लोकसभा चुनाव में 33.59 फीसदी वोट हासिल करके सपा को 37 सीटें मिली हैं। अखिलेश यादव खुद कन्नौज से भारी मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। वर्तमान में वे मैनपुरी की करहल सीट से विधायक हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
नियम के अनुसार, एक व्यक्ति सिर्फ एक ही सीट पर रह सकता है। अखिलेश यादव के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक, वे अब राष्ट्रीय राजनीति को प्राथमिकता देंगे। यानी वे विधानसभा से इस्तीफा देकर लोकसभा सीट पर बने रहेंगे। इस स्थिति में नेता प्रतिपक्ष का नया चुनाव करना होगा।
सपा की रणनीति है कि नेता प्रतिपक्ष का पद पीडीए के किसी विधायक को दिया जाए, ताकि पार्टी की ताकत बढ़े और मतदाताओं को सही संदेश जाए। इस हिसाब से रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज और कमाल अख्तर का नाम सबसे आगे है। ये तीनों नेता यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
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