एलियंस को लेकर अब तक की सबसे हैरान करने वाली रिसर्च. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि इंसानों के बीच छुपे हो सकते हैं एलियन.
अक्सर जब आसमान में कोई अजीब सी चीज उड़ती हुई दिखाई देती है. तब तब एलियंस का जिक्र लोगों की जुबान पर आता है.
दुनिया में कई लोगों ने एलियन के यान यानि यूएफओ को देखे जाने का दावा किया है, लेकिन इसके साथ ही सवाल उठता है कि आखिर ये एलियन यान बार-बार धरती पर क्यों आते हैं? क्या धरती से बाहर ब्रह्मांड में कोई और सभ्यता वास्तव में बसती है और क्या हो अगर ये एलियन कही जाने वाली अज्ञात सभ्यता यहीं पृथ्वी पर हमेशा से मौजूद हो और हमारे साथ ही छिपकर रहती रही हो। हार्वर्ड के दो वैज्ञानिकों ने ऐसा ही दावा किया है। उनके अनुसार एलियन असल में हमेशा से पृथ्वी पर रहे होंगे और हमारे ही साथ ही छिपकर अपना विकास कर रहे हैं। अपने एक शोध पत्र में उन्होंने इस बारे में बताया है।
डेली मेल की खबर के अनुसार, टीम ने अपने अध्ययन में लिखा कि पहली बार यह सुनने में असंभव लग सकता है लेकिन कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह समझ में आने वाली चीज है। कम से कम इस आधार पर ही कि अभी तक इंसान धरती के पूरे हिस्से को नहीं जान सका है। इसमें कहा गया है कि हमारे 80 प्रतिशत महासागरों के नक्शे नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि धरती पर इन कथित एलियन के लिए रहने की बहुत जगह है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जरूरी नहीं कि ये दूसरी दुनिया से आये हों, बल्कि हमारे बीच शुरू से ही रह रहे हों।
टीम ने प्राचीन सभ्यताओं के अस्तित्व का हवाला दिया और कहा कि ये किसी भी अज्ञात उन्नत सभ्यता की हो सकती हैं, जो अभी भी छिपी हुई हों। उन्होंने जापान में योनागुनी जिमा के तट पर खोजी गई विशाल जलग्न पत्थर की संरचना का जिक्र किया, जिसके बारे में समुद्री भूवैज्ञानिकों का तर्क है कि यह जापानी अटलांटिस के 5000 साल पुराने पिरामिड के अवशेष हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि पृथ्वी के नीचे बहुत कुछ रहस्यमयी है और पूरी तरह संभव है कि सैकड़ों मील नीचे एक और प्रजाति रह रही हो, जो हमसे मिलती-जुलती हो सकती है।
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में बताया है कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये सभ्यताएं ऐसी जगह अपना बेस बनाए हुए हो सकती हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। टीम ने बताया कि ये ज्वालामुखी के नीचे, गहरे पानी के नीचे समुद्री खाईयों में या फिर चंद्रमा के अंधेरे इलाके में लंबे समय से रह रही हो सकती हैं। चंद्रमा का अधिकांश अधेरे पक्ष का अभी तक अध्ययन नहीं किया जा सका है और अभी वहां खोज हो सकती है। हालांकि, अब दुनिया के अंतरिक्ष एजेंसियों की दिलचस्पी चंद्रमा के इस क्षेत्र की तरफ तेजी से बढ़ी है।
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