“मेरे बाबू को क्या हुआ है”??
“मेरे बाबू ने खाना खाया”??
“बाबू का फोन आया है”………
बाबू’ शब्द सुनने में जितना दिलचस्प लगता है। उतना ही दिलचस्प इसका इतिहास भी है हालांकि बात करे ऊपर बोले लिखे कुछ स्टेटमेंट्स की तो ऐसा कई सेंटेंसेस आपने आज कल के लोगों के मुंह से सुने होंगे, आजकल बाबू शब्द का प्रयोग नए नए प्यार में पड़े बच्चे अपने पार्टनर के लिए करते है। हालांकि ऐसा नहीं है की सिर्फ प्यार जताने के लिए नही होता कई बार सम्मान जताने के तौर पर भी इस शब्द का प्रयोग होता है, जैसे की उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बच्चे अपने पिता को बाबू या बाबू जी कहकर बुलाते है, साथ ही भारत के कई सरकारी दफ्तरों में भी बाबू शब्द का प्रयोग एक बड़े पधाधिकारी के लिए भी होता आ रहा है।
पर यकीन मानिए, सारा प्यार और सम्मान धरा का धरा रह जायेगा जब आपको बाबू शब्द का असल मतलब पता चलेगा, क्योंकि असल में शब्द किसी तरह प्यार को नही बल्कि अंग्रेजो की 200 साल की हुकूमत को हुए भारतीयों के अपमान को दर्शाता है, जहा गुलाम भारतीय के पहनावे और मजदूरी करने के कारण उनसे आने वाली स्मेल को इसी अपमानजनक शब्द से संबोधित किया जाता था।उस वक्त घरेलू सहायक के रूप में अंग्रेज अधिकारी भारतीयों को ही रखते थे। जिसके बदले वो पैसे, फटे-पुराने कपड़े या जूते दिया करते थे। जो घरेलू सहायक इन्हें पाकर काफी खुश भी हो जाया करते थे।
आइए जानते है बाबू शब्द की उत्पत्ति, इसका असल मतलब और आज के समय में इसके उल्लेख के बारे में
शरीर से बदबू आने वाले को कहते थे बबून
18वीं सदी में जब अंग्रेज भारत में आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत पर 200 सालों तक राज किया था।ये जानकर आपको बहुत बुरा लगेगा कि अंग्रेज ‘बबून’ उन लोगों को भी कहकर बुलाते थे। जिनमें से काफी बदूब आती थी। उस वक्त कड़ी मेहनत करने वाले केवल भारतीय ही हुआ करते थे। पसीने की वजह से उनके शरीर से बदबू आती थी। जिसकी वजह से उन्हें बबून कह कर अंग्रेज पुकारते थे। वहीं 19वीं सदी में बाबू शब्द का इस्तेमाल अलग ही तरीके से होने लगा।
‘बबून’ कहकर उड़ाते थे मज़ाक
अंग्रेजों के लिए काम कर रहे भारतीय सहायक उनकी तरह दिखाई देने के लिए उनकी नकल भी किया करते थे। अंग्रेजों की तरह इंग्लिश बोलने की कोशिश किया करते थे।
टूटी-फूटी अंग्रेजी को सुन और तन पर ढीले-ढाले कपड़ों को देख अंग्रेज सहायकों का खूब मज़ाक उड़ाया करते थे। वहीं उन्हें बबून कहकर उनका खूब मज़ाक उड़ाया करते थे।
बबून से ‘बाबू’ तक का सफर
भारतीयों को लगता था कि अंग्रेज अधिकारी को उनके काम से खुश होकर उन्हें बबून कह कर पुकार रहे हैं, लेकिन वो इसके अर्थ से पूरी तरह से अनजान थे। धीरे-धीरे सभी अंग्रेज अधिकारी अपने घर में काम करने वालों के बबून कहकर बुलाने लगे। जिसके कुछ समय बाद ये बबून शब्द बाबू में तबदील हो गया।
सरकारी दफ्तरों में बढ़ा ‘बाबू’ शब्द का चलन
भारत में जब तक अंग्रेजों का शासन था तब तक सारे सरकारी काम कर्लक किया करते थे। ऐसे में आम लोग अपने काम को करवाने के लि कर्लक को खुश रखने की पूरी कोशिश किया करते थे और प्यार से उन्हें बाबू कहकर सम्मान देने लगे।
21वीं सदी में बदला ‘बाबू’ शब्द का अर्थ
अंग्रेज चले गए लेकिन सॉरी शब्द की तरह वो बाबू शब्द भी यहीं छोड़ गए। हालांकि अब ये शब्द भारत में प्यार और सम्मान के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आज ‘बाबूजी’ कहकर भारतीय लोग अपने बड़े-बुर्जुग को सम्मान देते हैं। वहीं 21 वीं सदी में छोटे बच्चे और अपने प्रेमी पर ‘बाबू’ कहकर उन पर खूब प्यार लुटाते हैं।
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