हरियाणा से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जी हाँ हरियाणा चुनाव से पहले बीजेपी ने क्यों बदले छह जिलाध्यक्ष ? लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन खास नहीं रहा था। 10 लोकसभा सीट वाली हरियाणा में बीजेपी को 5 सीट ही मिली थी। जबकि हरियाणा में बीजेपी की सरकार है। वहीं कांग्रेस को 5 सीटें मिली थीं। हार के बाद बीजेपी ने संगठन स्तर पर बदलाव कर दिए। भाजपा ने छह जिलाध्यक्ष हटाए और चार प्रभारी बदल दिए।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी लगातार एक के बाद एक नए प्रयोग कर रही है। पार्टी ने चुनाव मैदान में जाने से पहले 6 जिला अध्यक्षों को उनके पद से हटा दिया है। पार्टी की इस कार्रवाई को लोकसभा चुनाव में मिली हार का असर माना जा रहा है। हटाए गए जिलाध्यक्षों में अधिकांश के खिलाफ पार्टी के सांसदों और उम्मीदवारों की ओर से शिकायत की गई थी। इसके साथ ही चार जिलों के प्रभारियों पर भी कार्रवाई करते हुए उन्हें भी पद मुक्त कर दिया गया है।
पार्टी ने जिन जिलों के अध्यक्षों को हटाया है, उनमें हिसार, जींद, सिरसा, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र और कैथल के जिला अध्यक्ष शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इन सभी नेताओं के खिलाफ पार्टी को भीतरघात की शिकायत मिली थी। पार्टी की इस कार्रवाई को लोकसभा चुनाव में मिली हार का असर माना जा रहा है। हटाए गए छह जिला अध्यक्षों में से पांच को प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। ऐसा इन नेताओं की नाराजगी को थामने के लिए किया गया है।
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं और अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। बीजेपी ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर अहम नियुक्ति करते हुए ब्राह्मण समुदाय से आने वाले मोहनलाल बडोली को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था और इसके बाद दलित समुदाय से आने वाले कृष्ण बेदी को प्रदेश महामंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी।
लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद बीजेपी अपनी हार के कारणों पर मंथन करने के साथ ही जरूरी कदम भी उठा रही है। ओबीसी के लिए निर्धारित क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने के साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंचायतों और नगर परिषदों में पिछड़े वर्ग का आरक्षण भी बढ़ाया है और कई बड़े ऐलान किये हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा में जिला अध्यक्षों के कामकाज पर काफी सवाल उठे थे और यह कहा गया था कि जिला अध्यक्षों ने चुनाव में पार्टी के लिए मन लगाकर काम नहीं किया और इस वजह से पार्टी को कई सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा।
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कुछ दिनों तक फील गुड महसूस कर रही कांग्रेस फिर से गुटबाजी से परेशान है। प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी की चर्चा को हवा सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा के द्वारा जारी किए गए कांग्रेस संदेश यात्रा के पोस्टर से मिली है।
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