तेलंगाना की हैदराबाद सीट हमेशा से हॉट सीट रही है… और असदुद्दीन ओवैसी यहां से सांसद बनते रहे. इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओवैसी के किले में सेंध लगाना शुरू कर दिया है.
AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी पहले हमेशा कांग्रेस के खिलाफ दिखाई देते थे… और राहुल गांधी पर तीखे हमले करते थे…. कांग्रेस के नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को RSS का एजेंट कहते थे… लेकिन इस बार दोनों के बीच केमिस्ट्री बदल गई है. राजनीति में रिश्ते मौके और जरूरत से तय होते हैं… ना तो कोई परमानेंट दोस्त होता है और ना ही कोई परमानेंट दुश्मन.
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए अभी छह महीने भी नहीं बीते हैं, तब केसीआर की पार्टी बीआरएस के साथ रहे ओवैसी कांग्रेस पर चुन-चुनकर हमले कर रहे थे और रेवंत रेड्डी को RSS का एजेंट बता रहे थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं और हाथ में हाथ डालकर आगे बढ़ने की बातें कह रहे हैं.
पिछला विधानसभा चुनाव बेशक कांग्रेस ने जीता, लेकिन हैदराबाद के सियासी किले की चाबी पिछले करीब 40 सालों से ओवैसी परिवार के पास ही रही है. यहां से इस बार भी असदुद्दीन ओवैसी ताल ठोक रहे हैं, लेकिन इस बार काफी कुछ बदला-बदला दिखाई दे रही है. मौका इफ्तार का था, जहां हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी दोनों ने एक-दूसरे के लिए दिल का दरवाजा खोल दिया.
सियासत में एक दूसरे की कट्टर विरोधी रही कांग्रेस और AIMIM का दिल बदलने के पीछे हैदराबाद की सीट है, जहां से ओवैसी पांचवीं बार अपनी जीत पक्की मान रहे थे, लेकिन बीजेपी ने अपनी फायर ब्रांड नेता माधवी लता को मैदान में उतारकर गेम फंसा दिया. इसके बाद कांग्रेस और ओवैसी की रणनीति बदलने लगी.
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