क्रिसमस तो सब मनाते हैं… लेकिन इस पर्व को मनाने के पीछे की असली कहानी आप जानते हैं?.. तो चलिए आज आपको बताएंगे कि क्रिसमस को क्यों मनाया जाता है…
पूरी दुनिया में हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है. क्रिसमस के दिन लोग अपने घरों को सुंदर तरीके सजाते हैं और क्रिसमस ट्री लगाते हैं. साथ ही चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और कैंडल जलाते हैं. इस दिन अनेक प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाया जाता है और केक काटकर इस त्योहार को धूमधाम से मानते हैं. वहीं छोटे बच्चों को इस दिन अपने सांता क्लॉज का इंतजार रहता है. इस दिन बच्चों को चॉकलेट्स और गिफ्ट्स मिलते हैं और बडे ही हर्ष व उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है।
क्रिसमस वैसे तो ईसाई धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा त्योहार है… लेकिन अब अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है… यह पर्व 25 दिसंबर को मनाया जाता है लेकिन पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर से ही क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं.. यूरोपीय और पश्चिमी देशों में इस दौरान खूब रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं… भारत में गोवा राज्य में क्रिसमस की काफी धूम रहती है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लोग प्रभु की प्रशंसा में कैरोल गाते हैं…. और क्रिसमस के दिन प्यार और भाईचारे का संदेश देने एक दूसरे के घर जाते हैं….
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था। इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी।
इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुईं और गर्भावस्था के दौरान उनको बेथलहम में रहना पड़ा। कहा जाता है कि एक दिन जब रात ज्यादा हो गई, तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं दिखी। ऐसे में उन्होंने एक ऐसी जगह पर रुकना पड़ा जहां पर लोग पशुपालन किया करते थे। उसी के अगले दिन 25 दिसंबर को मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया।
यीशु मसीह के जन्म स्थल से कुछ दूरी पर कुछ चरवाहे भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि भगवान स्वयं देवदूत का रूप धारण कर वहां आए और उन्होंने चरवाहों से कहा कि इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है ये स्वयं भगवान ईसा हैं। देवदूत की बात पर यकीन करके चरवाहे उस बच्चे को देखने गए।
देखते ही देखते बच्चे को देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी। लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और ये कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया है। मान्यता ये भी है कि प्रभु यीशु मसीह ने ही ईसाई धर्म की स्थापना की थी। यही वजह है कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
क्रिसमस ट्री का महत्व
प्राचीन काल से ही क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। इसे ईश्वर की ओर से दिए जाने वाले लंबे जीवन के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता रहा है। मान्यता है कि इसे सजाने से घर के बच्चों की आयु लम्बी होती है। इसी वजह से हर साल क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री को सजाया जाने लगा।
कौन हैं सांटा क्लॉस?
प्रभु यीशु की मौत के 280 साल बाद संत निकोलस का जन्म हुआ ,जो काफी अमीर परिवार में पैदा हुए थे. संत निकोलस अपनी दयालुता और उदारता के लिए जाने जाते हैं, जो हमेशा गरीब लोगों की मदद किया करते थे. कहा जाता है कि उन्होंने अपनी सारी संपत्ति गरीब लोगों की सेवा में लगा दी थ, उन्हीं संत निकोलस को सेंटा क्लॉज के नाम से जाना जाता है.
तो इसलिए क्रिसमस का पर्व घूमघाम से मनाया जाता है.. क्योंकि इस दिन प्रभु यीशू का जन्म हुआ था…. सभी को क्रिसमस की बधाई.. हैपी क्रिसमस…
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