नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने अजीत डोभाल को फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में तीसरी बार उनकी नियुक्ति की गई है. यह लगातार तीसरी बार है, जब उन्हें देश का सुरक्षा सलाहकार बनाया गया है. उत्तराखंड से आने वाले अजीत डोभाल की स्टोरी काफी दिलचस्प है…
देशी ‘जेम्स बाड’ अजीत डोभाल की हम आप को अनदेखी तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं.. जिसमें वो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के साथ भी नजर आ रहे हैं.. वहीं हम आपको डोभाल के बारे में वो जानकारी देंगे.. जो शायद ही आपको नहीं पता होंगी… उन किस्सों से आपको रूबरू कराएंगे… जो अनसुने हैं.. तो एक नजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के जीवन पर…
अजीत डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के घिरी बनेलस्यूं गांव में हुआ था… डोभाल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कामों की वजह से चर्चा में रहते हैं… भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’ के नाम से दुनिया में जाने जाते हैं… डोभाल के पिता मेजर जीएन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे… उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई राजस्थान के अजमेर स्थित अजमेर मिलिट्री स्कूल में की है…
अजीत डोभाल एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ बराबर काम किया है. उनका नाम मिजो एकॉर्ड के बाद पता चला, जहां उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.अजीत डोभाल ने भारत के स्वर्णिम ऑपरेशनों में ज़रूरी भूमिका निभाई है. जब सिक्किम को राज्य का दर्जा दिया गया था, या ऑपरेशन ब्लैक थंडर सबमें एक नाम जरूर मिलेगा- अजीत डोभाल.उन्होंने 2014 से 2019 तक कई इम्पोर्टेंट ऑपरेशन किए. उनका सबसे पहला अहम ऑपरेशन वह था, जिसमें इराक में फंसी नर्सों को वापस लाया गया था. उन्होंने इंडिपेंडेंट फॉरेन पॉलिसी को लेकर भारत सरकार को एक रास्ता दिखाया और विश्वपटल पर भारत की छवि को सुधारने के साथ अच्छा किया.
डोभाल ने बैक स्टेज में एक शास्क्त किरदार निभाया. उरी की सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट और साइबर टेरर सबका डोभाल ने सामना करने में ऐसी सटीक प्लानिंग की, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी को भनक भी नहीं लगी.
डिप्लोमेसी के साथ- साथ भारत के लिए सही कदम लेना का इतिहास रखते है अजीत. भारत का अरब देशों से अच्छा रिश्ता भी इन्ही की वजह से है.
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