सावन का पवित्र महीना आज, 22 जुलाई से शुरू हो चुका है। हिन्दू धर्म में सावन का महीना अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा और भक्ति का विशेष समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की आराधना और व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
इस बार सावन का महीना एक विशेष संयोग के साथ शुरू हो रहा है, क्योंकि इसकी शुरुआत सोमवार से हुई है। सोमवार को शिव जी का विशेष दिन माना जाता है, और इस दिन की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस बार सावन के महीने में कुल पाँच सोमवार पड़ रहे हैं, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ संकेत माना जा रहा है।सावन का यह महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस महीने में कांवड़ यात्रा, भजन-कीर्तन, और धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता है, जिससे पूरे वातावरण में आध्यात्मिकता और उत्साह का संचार होता है। भक्तगण भगवान शिव के मंदिरों में जाकर जलाभिषेक करते हैं और विभिन्न अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
क्या है सावन माह की विशेषता ?
ऐसी मान्यता है कि पूरे साल में सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है, इसलिए शिवभक्त सावन माह में पूरे भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं, और सावन के हर सोमवार को व्रत रखते हैं,मान्यता है कि सावन महीने में शिव की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है हैं, साथ ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन सुखमय जाता है, इस व्रत का प्रचलन विवाहित स्त्रियों और कुंवारी लड़कियों के बीच अधिक है।
एक और मान्यता के अनुसार इस समय भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और पूरी दुनिया का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं।इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने, बेलपत्र अर्पित करने, और विशेष मंत्रों के जाप का भी विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि सावन में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सच्चे मन से पूजा और आराधना करनी चाहिए। भक्तजन इस महीने का इंतजार पूरे साल करते हैं ताकि वे भगवान शिव की भक्ति में लीन हो सकें और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
कैसे करें सावन माह में पूजा-अर्चना ?
सावन के महीने में नियमित रूप से धार्मिक आचरण करना अत्यंत आवश्यक है। प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें, जो मंदिर में या घर पर की जा सकती है। पूजा के लिए बेलपत्र, दूध, धतूरा आदि का विधिपूर्वक प्रयोग करें। पूजा समाप्त होने पर भगवान शिव की प्रतिमा के आगे घी का दीपक जलाएं और भोग अर्पित करें। ध्यान रखें कि सुबह और शाम दोनों समय पूरे श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।इस व्रत में शिवलिंग का जल से अभिषेक अवश्य करें। व्रतधारी को केवल एक बार भोजन करना चाहिए, साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
पूजा की सामग्री: सावन महीने में भगवान शिव की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:
- बेलपत्र: शिव जी की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है।
- धतूरा: भगवान शिव को धतूरा अत्यंत प्रिय है।
- गंगाजल: शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए गंगाजल का उपयोग करें।
- दूध: शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए दूध अर्पित करें।
- दही: अभिषेक के लिए दही का भी प्रयोग करें।
- शहद: पूजा में शहद का उपयोग करें।
- शक्कर: प्रसाद और अभिषेक के लिए।
- घी का दीपक: घी का दीपक जलाएं।
- अगरबत्ती और धूप: पूजा के दौरान अगरबत्ती और धूप जलाएं।
- चंदन: चंदन का लेप करें।
- फूल: विशेष रूप से सफेद और नीले फूल अर्पित करें।
- पंचामृत: दूध, दही, शहद, शक्कर, और घी मिलाकर पंचामृत बनाएं।
- भस्म: भगवान शिव को भस्म अत्यंत प्रिय है, इसे शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- भोग: प्रसाद के रूप में फल, मिठाई या जो भी घर में उपलब्ध हो, अर्पित करें।
- नैवेद्य: विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जो आप भगवान को अर्पित करना चाहते हैं।
इन सामग्रियों के साथ पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करें।
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