तीसरी बार सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेश दौरे में रूस की यात्रा पर हैं… यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से पीएम मोदी का यह पहला रूस दौरा है जिसमें वो 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी का रूस दौरा तीन सालों के अंतराल के बाद ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने यूक्रेन से युद्ध के लिए रूस को अलग-थलग कर रखा है… ऐसे में पीएम मोदी के रूस दौरे पर पश्चिमी देश कड़ी नजर बनाए हुए हैं… इस दौरे पर नजर चीन की भी है जिसने यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के साथ अपने रिश्तों को ऐतिहासिक रूप से बढ़ाया है. भारत के प्रतिद्वंद्वी चीन और रूस की करीबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो बार चीन जा चुके हैं जबकि वो एक बार भी भारत दौरे पर नहीं आए
भारत-रूस रिश्तों में चीन के फैक्टर को समझने के लिए हमें इतिहास में झांकना पड़ेगा जब रूस, भारत और चीन के साथ अपने मजबूत रिश्तों को लेकर बड़े धर्मसंकट में फंस गया था. साल था 1962 जब भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया था. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पूरी उम्मीद थी कि भारत का पुराना दोस्त रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) उसका साथ देगा.. लेकिन तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति निकिता उसी दौरान क्यूबा मिसाइल संकट में उलझे थे.
कहा जाता है कि सोवियत संघ के राष्ट्रपति ने नेहरू से कहा कि वो सीमा पर समझौता कर लें क्योंकि उन्हें चीन के समर्थन की जरूरत है. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारत अगर इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में लेकर जाता है तो रूस चीन के साथ खड़ा होगा. रूस ने भारत-चीन युद्ध में अपनी तटस्थता दिखाने के लिए भारत को सैन्य विमानों की बिक्री भी निलंबित कर दी. हालांकि, जल्द ही भारत-रूस के संबंध सामान्य हो गए थे.
विदेश मामलों के जानकार कमर आगा कहते हैं, ‘भारत-रूस के रिश्तों में ऐसा बहुत थोड़े समय के लिए हुआ था. चीन और रूस दोनों उस दौरान कम्यूनिस्ट देश थे और विचारधारा के मामले में एक-दूसरे से जुड़े हुए थे. बाद में दोनों में दूरियां आ गई थीं लेकिन रूस भारत के साथ खड़ा रहा. वो दौर अलग था और केवल कुछ समय के लिए था. उसके बाद से लगातार भारत और रूस के रिश्ते मजबूत हुए हैं, हर क्षेत्र में हमारा सहयोग बढ़ा है.’
पिछले हफ्ते कजाकिस्तान में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन ने चीन के साथ अपने रिश्तो को लेकर कहा था कि दोनों देशों के रिश्ते ‘अब तक की सर्वश्रेष्ठ स्थिति’ में हैं.
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