चीन छटपटाने लगा है ? जी हाँ जिन मार्केट्स में चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात के किले को भारत ने गिरा दिया है उनमें ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इन दोनों ही देशों के साथ चीन का भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने का फायदा भारतीय प्रॉडक्ट्स को मिल रहा है. तो आइए देखते है इस पर एक खास रिपोर्ट……….
आत्मनिर्भर भारत के असर से ना केवल भारत में दूसरे देशों से आयात घटा है, बल्कि भारत अब निर्यात के मामले में कई मार्केट्स में चीन को पीछे छोड़ रहा है.सूत्रों के मुताबिक दावा किया गया है कि भारत ने कुछ प्रमुख बाजारों में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में चीन के दबदबे को कम करना शुरू कर दिया है, दरअसल, मैन्युफैक्चरर्स चीन से हटकर एशिया के दूसरे हिस्सों में सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करने में लगे हैं. इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग की स्पीड बढ़ी है, जिसका फायदा निर्यात में इजाफे के तौर पर देखने को मिल रहा है.
जिन मार्केट्स में चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात के किले को भारत ने गिरा दिया है उनमें ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इन दोनों ही देशों के साथ चीन का भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने का फायदा भारतीय प्रॉडक्ट्स को मिल रहा है. लंदन स्थित फैथॉम फाइनेंशियल कंसल्टिंग के मुताबिक चीन के अनुपात में अमेरिका को भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पिछले साल नवंबर में बढ़कर 7.65 फीसदी हो गया जबकि ये नवंबर 2021 में 2.51 फीसद था. वहीं ब्रिटेन में ये बढ़ोतरी 4.79 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी हो गई है.
हालांकि मैन्युफैक्चरर्स के लिए भारत ऐसे ही चीन का विकल्प नहीं बना है. इसकी मुख्य वजह भारत सरकार से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स को मिल रही रियायतें हैं, जिनमें शामिल हैं टैक्स बेनेफिट्स, आसान भूमि अधिग्रहण और कैपिटल सपोर्ट. सरकार इससे मैन्युफैक्चरर्स को लुभाने में कामयाब रही है, जिससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी बूस्टर डोज मिली है. देसी कंपनियों ने बाहरी कंपनियों से करार करके अपनी ग्लोबल पहुंच को भी मजबूत किया है.
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