यूं तो भारत में एक से बढ़कर एक शायरी और ग़ज़ल के फनकार जन्मे और अपनी कला को हमेशा हमेशा के लिए अमर कर गए, कुछ की कला आज भी हमारे बीच उनकी विरासत के तरह मौजूद है, और कुछ की हमे आज भी मुंह ज़वानी याद है। हालांकि कभी कदार जब आज कल के नौजवान मौजूदा समय की अंतरंगी धुनों में भटकने लगते है, तो आज के दौर के कुछ बेहतरीन शायर हमें उस धरोहर की अहमियत याद दिलाकर वापस हमारे पाओ ज़मी से जोड़ते है। जिनमे से एक है जावेद अख़्तर, जो अपने उर्दू के लफ्जों में जैसी शायरी घोल के परोसते है, जो दिलों के रोगी और जोगी दोनो को ही अपने अपने इश्क़ को अपने अंदरबतौर ज़िंदा या मुर्दा पनाह ज़रूर देता है।
जावेद अख़्तर की उन्ही शायरियो का एक डोज़ हम आपके के लिए खास तयार करके लाए है…
Evergreen Quotes & Shayari Of Javed Akhtar
- मैं पा सका न कभी इस खलिश से छुटकारा,
वो मुझ से जीत्त भी सकता था जाने क्यों हारा
- वो ज़माना गुज़र गया कब का,
था जो दीवाना मर गया कब का,
ढूँढता था जो इक नई दुनिया,
लूट के अपने घर गया कब का…
- सब का ख़ुशी से फ़ासला एक क़दम है,
हर घर में बस एक ही कमरा कम है…
- इस शाहर मे जीने के अंदाज़ निराले है,
होटो पे लतीफ़े है आवाज़ मे छाले है…
- जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता,
मुझे पामाल रास्तों का सफर अच्छा नहीं लगता…
- प्यार करते हो मुझसे तो इज़हार कर दो,
अपनी मोहब्बत का ज़िकर आज सरे आम कर दो,
नहीं करते अगर सच्ची मोहब्बत तो इंकार कर दो,
ये लो मेरा नादान दिल इसके टुकड़े हज़ार कर दो…
7. काश ! कोई चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता,
न प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको,
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान न होता..
8. किसी को क्या बताये कि कितना मजबूर हूं,
चाहा था सिर्फ एक तुमको और तुमसे ही दूर हूं…
- काश ! कोई हम पर भी इतना प्यार जताती,
पीछे से आकर वो हमारी आँखों को छुपाती,
हम पूछते की कौन हो आप …??
और वो मुस्कुरा कर खुद को हमारी जान बताती…
- छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था,
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए,
अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में,
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए
- तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ,
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
- छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था,
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए,
अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में,
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए…
- इस शाहर मे जीने के अंदाज़ निराले है,
होटो पे लतीफ़े है आवाज़ मे छाले है…
- कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी
- जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
- तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे
अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है
- मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता
- डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
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