कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. पश्चिम बंगाल में एक साथ लड़ने के बावजूद केरल में वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. इससे इन दोनों राज्यों में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं.
लोकसभा चुनाव में केंद्र में शासित बीजेपी को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन का गठन विपक्षी पार्टियों ने किया… लेकिन चुनाव से पहले ही तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया… पंजाब और केरल सहित कई ऐसे राज्य हैं…. जहां इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच मुकाबला है….
पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक-दूसरे के सामने-सामने हैं….इसी तरह से पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी मिलकर टीएमसी और बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं… वहीं केरल में इंडिया गठबंधन की दोनों पार्टियां कांग्रेस और लेफ्ट एक-दूसरे के सामने-सामने हैं… पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ अपने समझौते के तहत, सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने उसके लिए 12 सीटें छोड़ी हैं… जिनमें से दो पर कांग्रेस वाम मोर्चे के घटक फॉरवर्ड ब्लॉक के खिलाफ ‘दोस्ताना लड़ाई’ की संभावना देख रही है… हालांकि औपचारिक रूप से कांग्रेस और लेफ्ट के बीच कोई समझौते की घोषणा नहीं हुई है… लेकिन अनौपचारिक रूप से लेफ्ट ने कांग्रेस के लिए सीटें छोड़ी हैं, लेकिन केरल में स्थिति पूरी तरह से विपरीत है.
केरल में मार्क्सवादी के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा और कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच जोरदार टक्कर की संभावना है… डी राजा की पत्नी एनी राजा वायनाड कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से मुकाबला कर रही हैं…इस तरह से पश्चिम बंगाल हो या फिर केरल दोनों ही राज्यों में त्रिकोणीय मुकाबला के आसार हैं. पश्चिम बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस का टीएमसी और बीजेपी के साथ तो केरल में कांग्रेस का लेफ्ट के साथ मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है…
यह पहली बार नहीं है कि कांग्रेस और वामपंथी इस रणनीति को अपना रही है. केरल और पश्चिम बंगाल में लगभग एक ही समय में विधानसभा चुनाव होने हैं. पिछले दो विधानसभा चुनावों 2016-और 2021 में उन्होंने केरल में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, जबकि पश्चिम बंगाल में साल 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट के बीच समझौता हुआ है.हालांकि बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस महाजोट एक भी सीट नहीं मिली. यह पहला अवसर था, जब विधानसभा में न तो कांग्रेस का कोई उम्मीदवार जीत पाया और न ही लेफ्ट का, जबकि बीजेपी ने पहली बार 70 सीटों पर जीत हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था. वहीं ममता बनर्जी की पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही थी.
केरल में कभी एलडीएफ और कभी यूडीएफ की सरकार रहती है. केरल की सरकार 1982 से एलडीएफ और यूडीएफ के बीच बदल रही है, लेकिन यह प्रवृत्ति 2021 में टूट गई जब एलडीएफ कांग्रेस को हराकर सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही थी.
पिछले लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 का चुनावी आंकड़ा देखें तो यूडीएफ को ज्यादा सीटें मिली हैं…. कांग्रेस ने अपने सहयोगियों, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (एम) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के साथ मिलकर राज्य में 20 में से 19 सीटों पर जीत हासिल की है… यूडीएफ ने पिछले पांच चुनावों में 47-48 प्रतिशत वोट शेयर बनाए रखा है…
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