भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारतीय मसालों में हानिकारक पदार्थों की मिलावट की बात खारिज कर दी है। संस्थान ने व्यापक जांच के बाद इनमें एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) न मिलने की पुष्टि की है। एथिलीन ऑक्साइड से कैंसर होने का खतरा रहता है।
फूड रेगुलेटर FSSAI ने भारत के बाजारों से मसालों के सैंपल लेकर की गई जांच के बाद दावा किया है कि इनमें एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा नहीं पाई गई है। इन मसालों में एवरेस्ट और एमडीएच भी शामिल हैं, जिन पर हॉन्गकॉन्ग ने यह कहते हुए बैन लगा दिया था कि इनमें एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा मिली है, जो कैंसर का कारण बन सकता है। FSSAI ने 22 अप्रैल को देशभर से नमूने जुटाने शुरू किए। इसके तहत, एवरेस्ट और एमडीएच मसालों के 34 नमूने जमा किए गए। विशेष रूप से, महाराष्ट्र और गुजरात में एवरेस्ट के 9 नमूने और दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से एमडीएच के 25 नमूनों का विश्लेषण किया गया।
फूड रेगुलेटर ने कहा है कि नमी की मात्रा, कीट, एफ्लाटॉक्सिन, कीटनाशक और अन्य चीजों की जांच की गई। खास तौर पर एथिलीन ऑक्साइड के लिए भी जांच की गई। 34 नमूनों में से 28 की लैब रिपोर्ट मिल चुकी है। इन सभी नमूनों में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा नहीं मिली है। इसी के साथ FSSAI ने भारतीय बाजार में उपलब्ध मसालों को सुरक्षित बताया है।
दरअसल, एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल मसालों को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाता है, लेकिन यदि इसकी मात्रा सुरक्षित स्तर से अधिक हो तो इससे कैंसर समेत अन्य स्वा स्थ्य जोखिम पैदा हो सकता है। हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर ने एवरेस्ट और एमडीएच कंपनियों के कुछ उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और नेपाल समेत कई देशों ने भारतीय मसालों को निगरानी लिस्ट में डाल दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार और मसाला बोर्ड हरकत में आया है। हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर को भेजे जाने वाले मसालों की जांच अनिवार्य कर दी गई है। भारत दुनिया में मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत आने वाले विदेशी पर्यटक भी सोवेनियर के तौर पर मसाला ले जाना पसंद करते हैं।
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