“होइए वही जो राम रची राखा” ये वचन स्वयं भगवान शंकर के है, और हम तक इस वचन को पहुंचाने वाले खुद प्रेमानंद महाराज है, वही प्रेमानंद महाराज, जिनके पास आज हर कुसंग में विलीन इंसान जाने से डरता है, की कही इस संत का प्रवचन हमे खुद बाबा ना बना दे।
प्रेमानंद महाराज एक ऐसे संत है जिनके प्रवचन आज के समय में सबसे अच्छे और तर्कहीन माने जाते है। प्रेमानंद जी से आज के समय में युवावस्था में मौजूद हर इंसान के पसंदीदा है, जिनकी कोई आलोचना नहीं करता, प्रेमानंद जी द्वारा दी गई सीख, उनके विचार किसी स्पष्टीकरण के मौहताज नही होते और आम तौर पर हर इंसान इनकी वाणी का दास है।
और इस आर्टिकल में हम प्रेमानंद जी की पवित्र वाणी से निकले कुछ शब्दो का परिचय आपसे कराएंगे।
आइए बढ़ते है Best Motivational Quotes of Premanand ji Maharaj की ओर-
1 सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है। जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो, वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
2 स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है। तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है, वह उनकी कृपा का प्रभाव है। तुम जिसका भोग कर रहे हो, वह सब ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ कर्म करो, जीवन यापन करो, जीवन सुखमय होगा।
3 ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।
4 हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति से क्या होगा, कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।
5 कोई व्यक्ति तुम्हें दु:ख नहीं देता बल्कि तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दु:ख के रूप में प्राप्त होते हैं।
6 जिनके मुख में परमेश्वर का नाम नहीं है, वे जीवित तो हो सकते हैं, परन्तु मुंह से मरे हुए हैं।
7 डरो मत, गिरोगे भी तो आगे बढ़ना है, हजार बार भी गिरोगे तो भी आगे बढ़ना है।
8 इस भौतिक संसार में किसी के पास आपको पकड़ने की शक्ति नहीं है, आप ही हैं जो पकड़ते हैं और आप ही हैं जिन्हें
छोड़ना है।
9 क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है… बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
10 प्रभु का नाम जप संख्या से नहीं डूब कर करो।
11 जिनके मुख में प्रभु का नाम नहीं है, वह भले ही जीवित है लेकिन मुख से मरा हुआ है।
12 दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए, दुखिया का जो मुखिया सुने, तो तेरी गति क्या होए।
13 बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा। आज तुम बुरा कर रहे हो, तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं। जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए, अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा, त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचा नहीं सकेगा।
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