बजट 2024 केंद्र सरकार इस वित्तीय वर्ष सबसे अधिक भूटान के विकास पर खर्च करेगा। वहीं अफगानिस्तान को भी 200 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी। मालदीव को मिलने वाले बजट पर केंद्र सरकार ने कैंची चलाई है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष केंद्र सरकार ने 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। हालांकि भूटान के बजट में भी कटौती की गई है। भारत अब नेपाल और भूटान को पहले की तुलना में अधिक आर्थिक सहायता प्रदान करेगा।
भारत सरकार ने बजट 2024 में मालदीव को दी जाने वाली अनुदान सहायता राशि में बड़ी कटौती की है, जिसके बाद भारत से अनुदान राशि पाने के मामले में मुइज्जू का देश तीसरे स्थान पर चला गया है. भारत ने साल 2024-2025 के लिए मंगलवार को अपना बजट पेश किया, जिसमें मालदीव को दी जाने वाली सहायता राशि कम कर दी गई है. चुनाव से पहले संसद में 1 फरवरी को पेश किए गए बजट में मालदीव को सहायता के रूप में 72 बहत्तर मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किए गए थे. आइए देखते है एक खास रिपोर्ट
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में मालदीव को दी जाने वाली अनुदान राशि में कटौती करके महज 48 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किए गए हैं. मालदीव को दी जाने वाली सहायता राशि में कटौती को मुइज्जू की चीन परस्त नीतियों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. संसद में प्रस्तावित शुरुआती बजट के मुताबिक, भारत से अनुदान पाने वाला मालदीव दूसरा सबसे बड़ा देश होता, लेकिन इस बार भारत नेपाल और भूटान को सबसे अधिक सहायता राशि देगा.
पिछले वित्त वर्ष के बजट में मालदीव को अनुदान राशि के रूप में 48.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किए गए थे, जबकि इसे संसोधन के बाद बढ़ाकर बानबे 92.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया गया था. भारत ने पिछले साल अनुदान सहायता के रूप में मालदीव को 22 मिलियन डॉलर की मदद दी थी. अनुदान सहायता में यह कटौती भारत की तरफ से मालदीव में किए जा रहे बड़े पैमाने पर विकास कार्यों में की गई है.
भारत मौजूदा समय में मालदीव के अंदर थिलामाले ब्रिज परियोजना, हमीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना और दो भारतीय कंपनियों द्वारा हुलहुमाले में फ्लैटों का निर्माण कर रहा है. थिलामाले ब्रिज परियोजना को भारत सरकार से 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता के साथ बनाई गई थी. इसके अलावा अन्य परियोजनाओं को भारत के एक्जिम बैंक से लोन लेकर वित्तपोषित किया गया था. अब भारत की तरफ से अनुदान राशि घटाने पर मालदीव के अंदर चल रही परियोजनाओं की रफ्तार धीमी हो सकती है.
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