विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक अपराधी अब विदेश नहीं भाग पाएंगे। ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए सरकार ने पक्का इंतजाम किया है। जी हाँ हाल में संसद में पेश बजट में विदेश जाने के लिए जरूरी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट्स से जुड़े प्रावधानों को सख्त बना दिया गया है। एक अक्टूबर से विदेश जाने वाले भारतीयों को ब्लैक मनी एक्ट के तहत क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा।
विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारी भारत में सरकारी बैंकों से अरबों रुपये लेकर विदेशों में आराम से बैठे हैं. लेकिन अब कोई भी ऐसा नहीं कर पाएगा. दरअसल, सरकार ने ऐसे लोगों पर नकेल कसने की पूरी तैयारी कर ली है. हाल में पेश बजट में भारत से पैसे लेकर विदेश जाने वालों के लिए तगड़ा इंतजाम किया गया है. ऐसे लोग जो देश का पैसा लेकर विदेश जाते हैं उनके लिए जरूरी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट्स से जुड़े प्रावधानों को सख्त बना दिया गया है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ये…
क्लीयरेंस सर्टिफिकेट्स के प्रावधानों के मुताबिक 1 अक्टूबर से विदेश जाने वाले भारतीयों को ब्लैक मनी एक्ट के तहत क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. मौजूदा व्यवस्था में विदेश जाने वाले व्यक्ति को आईटी एक्ट की धारा 230 के तहत टैक्स अधिकारियों से यह सर्टिफिकेट लेना होता है कि उस पर कोई बकाया नहीं है. अगर जांच में पाया गया कि शख्स के ऊपर किसी भी तरह का कोई बकाया है तो उसे विदेश जाने से पाबंदी लगा दी जाएगी. जानकारों के मुताबिक, नए नियमों से भारत में धोखाधड़ी या डिफॉल्ट करने वाले लोगों के लिए विदेश भागना मुश्किल हो जाएगा.
क्लीयरेंस सर्टिफिकेट्स के अलावा पहले खबर आई थी कि सरकार लोन चुकाने में डिफॉल्ट करने वाले या देश के साथ पैसों में धोखाधड़ी करने वाले लोगों को देश से भागने से रोकने के लिए बैंकों को लुकआउट सर्कुलर जारी करने का कानूनी अधिकार दे सकती है. सरकार उस ऑफिस मेमोरेंडम को कानूनी दर्जा दे सकती है जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लुकआउट सर्कुलर जारी करने की अनुमति है. हालांकि, लुक आउट नोटिस के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जा सकता है. इनमें बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम शामिल हैं. साल 2018 में होम मिनिस्ट्री ने सरकारी बैंकों के सीईओ को उन अधिकारियों की लिस्ट में शामिल किया था जो लोगों के खिलाफ इस तरह के नोटिस की डिमांड कर सकते हैं.
लुक आउट नोटिस भेजने के लिए कॉमन फ्रेमवर्क पर शुरुआती विचार-विमर्श हो चुका है. इसमें उन शर्तों को रखा गया है जिसे पूरा करने पर ही सरकारी बैंक डिफॉल्टर्स के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर सकते हैं. इसमें एक चेकलिस्ट शामिल हो सकती है, जिसमें डिफॉल्टर्स को कानूनी नोटिस भेजना, रिस्पॉन्स का डॉक्युमेंटेशन करना और केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो जैसी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर फ्लाइट एसेसमेंट का आकलन करना शामिल है.
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