चीन के मूल निवासी पांडा वर्षों से “मैत्री के दूत” बन गए हैं, तथा पांडा कूटनीति के नाम पर चीन ने उन देशों तक अपनी पहुंच बनाई है, जहां वह इन जानवरों को उपहार में देता है।
दुनिया के दो देशों को जब आपस में अपने संबंध सुधारने की जरूरत होती है तो वो बातचीत करते हैं, कारोबार करते हैं या फिर कोई समझौता करते हैं. लेकिन जब चीन को किसी के साथ संबंध पटरी पर लाने होते हैं तो वो उन्हें पांडा की पेशकश करता है. और ऐसा वो दशकों से करता आ रहा है. अब चीन ने ऑस्ट्रेलिया को पांडा की नई जोड़ी देने की पेशकश की है. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंचे चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने कि वो पांडा की नई जोड़ी (एक मेल, एक फीमेल) देना चाहते हैं.
चीनी पीएम ली कियांग की ओर से ये पेशकश ऐसे वक्त की गई है, जब दोनों देशों के बीच कई सालों से ट्रेड वॉर चल रहा है. 2020 से ही दोनों के रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए थे. अब फिर से रिश्ते सुधारने की कोशिश हो रही है. और इन रिश्तों को चीन ‘पांडा डिप्लोमेसी’ के जरिए सुधारना चाहता है.
दरअसल, चीन क्यूट से दिखने वाले पांडा का इस्तेमाल हथियार के तौर पर करता है. जब भी उसे लगता है कि किसी देश से उसके संबंध पटरी से उतर रहे हैं तो वो पांडा डिप्लोमेसी करता है. पिछले साल जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका गए थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन से कहा था कि वो नए पांडा भेजना चाहते हैं. चीन इन पांडा को ‘दोस्ती का प्रतीक’ बताता है.
ऐसे में जानते हैं कि चीन की ये पांडा डिप्लोमेसी क्या है? और कैसे चीन इनका इस्तेमाल एक हथियार की तरह करता है?
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