पावर स्टार पवन कल्याण इन दिनों खासे चर्चाओं में है… वजह है… फिल्मों की बाद अचानक में मिली राजनीति सफलता .. यहां तक कि. पीएम मोदी भी उनके मुरीद बन गए…
पावर स्टार पवन कल्याण आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम बने. नरेंद्र मोदी के साथ उनकी और उनके भाई चिरंजीवी की तस्वीर खूब वायरल हुई. चुनाव जीतने के बाद चिरंजीवी के पैरों में गिरकर आशीर्वाद लेने की तस्वीरें भी खूब सर्कुलेट हुईं. लेकिन जैसा दिखता है हमेशा वैसा होता नहीं. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, ये जानने के लिए आपको उनकी राजनीतिक और फिल्मी यात्रा जाननी होगी…
1968 में जन्मे पवन कल्याण ने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की है. तीन भाइयों में सबसे छोटे पवन का असली नाम है कोनिडेला कल्याण बाबू. वो मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हैं. ‘पवन’ उन्हें मार्शल आर्ट में ही मिला एक टाइटल है. यहीं से वो पवन कल्याण हो गए. उन्होंने एक बार अपने डिप्रेशन और आत्महत्या की प्लानिंग पर बात की थी. पवन ने बताया था कि अस्थमा के चलते उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था. इसके कारण वो कभी बहुत सोशल आदमी नहीं रहे. वो बहुत अकेला महसूस करते थे. ऊपर से 17 की उम्र में पढ़ाई और परीक्षा का प्रेशर आ गया. वो कहते हैं, “जब मेरे बड़े भाई घर पर नहीं थे, तब मैंने उनकी लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद की जान लेने की प्लानिंग कर ली थी.” इसके बाद धीरे-धीरे वो संभले. मार्शल आर्ट सीखा. कर्नाटिक म्यूजिक की प्रैक्टिस करनी शुरू की. इसने उन्हें डिप्रेशन से निकलने में मदद की.
1996 में ‘अक्कड़ा अम्माई इक्कड़ा अब्बाई’ नाम की फिल्म से पवन ने डेब्यू किया. इसके बाद ‘गोकुलामलो सीता’ नाम की पिक्चर की. पर अभी तक मामला जमा नहीं था. फिर 1999 में आई ‘टोली प्रेमा’ ने पवन को इंडस्ट्री में स्थापित किया. इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड भी मिला. पर अभी बॉक्स ऑफिस पर उनकी धमक बाकी थी. ये भी 2001 में आई फिल्म ‘खुशी’ से पूरी हो गई. ये उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी. इसके बाद फिल्में आती रहीं और पवन कल्याण बॉक्स ऑफिस पर राज करते रहे. उन्होंने अपनी पहचान बिल्कुल अलग बनाई.
एक ओर फिल्में सही चल रही थीं. इसी बीच 2008 में चिरंजीवी ने पॉलिटिक्स में कदम रखा. उन्होंने प्रजा राज्यम पार्टी बनाई और इसकी यूथ विंग युवराज्यम का प्रेसीडेंट अपने भाई पवन कल्याण को बनाया. इस बीच पवन ने न ही कोई चुनाव लड़ा और न ही कोई संवैधानिक पद स्वीकार किया. लेकिन पार्टी के लिए प्रचार जोरदार किया. 2011 में चिरंजीवी ने PRP का कांग्रेस में विलय करने का फैसला किया. इससे पवन कल्याण थोड़ा नाराज भी हुए. और कुछ दिनों के लिए राजनीति से खुद को अलग कर लिया. कहा जाता है ऐसा उन्होंने अपने भाई के फैसले का साइलेंट प्रोटेस्ट करने के लिए किया.
पवन कल्याण की पॉलिटिकल जर्नी पर. 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त पवन कल्याण ने अपनी खुद की पार्टी बनाई. इसका नाम रखा जन सेना पार्टी. वो भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से जाकर मिले. इस वक्त चिरंजीवी कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे थे. माने वो अपने ही भाई के खिलाफ खड़े हो गए. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश में TDB और BJP गठबंधन के लिए खूब प्रचार किया. पर कुछ सालों बाद TDP की सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट का ऐलान कर दिया. किडनी डिजीज के इलाज में लोगों हो रही असुविधा के लिए हंगर स्ट्राइक का ऐलान किया. किसानों की आत्महत्या को लेकर प्रोजेस्ट मार्च किया. TDP सरकार के लैंड पूलिंग फैसले का भी तगड़ा विरोध किया. केंद्र सरकार के भी कुछ फैसलों का विरोध उन्होंने किया. फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर कंटेस्ट किया. सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की. खुद की दोनों सीटें भी हार गए.
दरअसल आंध्र प्रदेश की राजनीति में तीन जातियों का दबदबा है. रेड्डी, कपू और कम्मा. आंध्र प्रदेश में शुरू से ही रेड्डी के हाथ में सत्ता रही. फिर एनटी रामाराव ने TDP बनाकर कम्मा समुदाय को रिप्रेजेंटेशन दिलाया. चिरंजीवी ने कपू समुदाय को साधने की कोशिश की. पर मामला बना नहीं. फिर आए पवन कल्याण, पर अकेले वो सफल नहीं हुए. 2024 में उन्होंने चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP से हाथ मिलाया. चूंकि नायडू कम्मा हैं और पवन कपू. इसलिए इन दोनों जातियों के वोटर्स साथ आए और TDP-BJP-JSP माने NDA गठबंधन की सरकार आंध्र प्रदेश में बनी, और पवन कल्याण डिप्टी सीएम बन गए.
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