गुजरात सरकार ने कहा कि बौद्ध धर्म और हिंदू अलग-अलग है. ऐसे में कोई भी शख्स हिंदू से बौद्ध धर्म अपनाता है तो उसे इजाजत लेनी पड़ेगी. गुजरात सरकार ने सकुर्लर जारी किया है. इसमें धर्म परिवर्तन करने को लेकर जानकारी दी गई है.
गुजरात सरकार द्वारा एक सर्कुलर जारी कर यह स्पष्ट किया गया है कि बुद्धिज्म को एक अलग धर्म माना जाना चाहिए और हिंदू धर्म छोड़ कर बौद्ध, जैन या सिख धर्म अपनाने से पहले गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2003 के तहत डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से इजाजत लेना जरूरी है।
जानकारी के मुताबिक यह सर्कुलर गुजरात सरकार के गृह विभाग द्वार जारी किया गया था। दरअसल सरकार ने यह पाया था कि बौद्ध धर्म अपनाने के लिए आने वाले आवेदनों को नियम के तहत नहीं ट्रीट किया जा रहा था। गृह विभाग द्वारा जारी किए गए सर्कुलर पर डिप्टी सेक्रेटरी विजय बधेका के साइन हैं।
आपको बता दें कि गुजरात में हर दशहरा और अन्य त्योहारों के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों में ज्यादातर दलितों को सामूहिक रूप से बौद्ध धर्म अपनाते देखा जा रहा है।
आपको बता दें कि गुजरात सरकार गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट लेकर आई थी। इस एक्ट के जरिए सरकार का मकसद लालच देकर, बलपूर्वक, गलत बयानबाजी या किसी अन्य गलत तरीके से धर्म परिवर्तन रोकना था। साल 2021 में गुजरात सरकार ने विवाह के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने वाले एक्ट में संशोधन किया।
इस कानून के तहत अधिकतम 10 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक जुर्माने जैसे प्रावधान हैं और आरोपी को खुद सबूत देने होते हैं। ऐसे मामलों की जांच DSP लेवल से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकता है। गुजरात सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन को गुजरात हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया है, जहां यह मामले पेंडिंग है।
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