रिलायंस कैपिटल के शेयर की न तो ट्रेडिंग हो सकेगी और न ही निवेशक इसके शेयर होल्ड कर सकेंगे क्योंकि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड स्टॉक मार्केट की डी-लिस्ट होगी।
बिजनेस: रिपोर्ट्स के अनुसार रिलायंस कैपिटल का अधिग्रहण हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने किया है। गौतलब है की कंपनी की लास्ट ट्रेडिंग 26 फरवरी को हुई थी जिसकी कीमत 11.900 है और वर्तमान में यह शहर 99% तक टूट चुका है। जिसके चलते शेयरों को डी-लिस्ट करने का फैसला भी कंपनी के नए मालिक यानी हिंदुजा समूह की ओर से लिया गया है। जिसके चलते रिलायंस कैपिटल न तो ट्रेडिंग हो सकेगी और न ही निवेशक शेयर होल्ड कर सकेंगे। हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 2008 में शेयरों की कीमत 2700 रुपए से भी अधिक थी।
स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी
स्टॉक एक्सचेंज को अपना स्टेटमेंट देते हुए रिलायंस कैपिटल ने कहा, क्योंकि इक्विटी शेयरधारक का परिसमापन मूल्य शून्य है, इसलिए इक्विटी शेरधारक को कोई भुगतान प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे। साथ ही रिलायंस कैपिटल के किसी भी शेयरधारक को कोई प्रस्ताव नहीं दिया जाएगा। आसान भाषा में समझे तो रिलायंस कैपिटल की डी लिस्टिंग के बाद इक्विटी शेरहोल्डर्स को कोई भी पेमेंट नहीं मिलेगी।
एनसीटीटी ने दी मंजूरी
रिलायंस कैपिटल पर नियंत्रण करने के लिए हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स की तरफ़ से पेश 9,650 करोड़ रुपए की समाधान योजना को बीते मंगलवार राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की तरफ से हरी झंडी दे दी गई है। कंपनी के खिलाफ किए गए 38,526.42 करोड रुपए के कुल दागों में सिर्फ 26,086.75 करोड रुपए के दावे को ही न्यायाधिकरण ने स्वीकार किया है, साथी विजेता घोषित की गई ह ने स्वीकृत दावों का सिर्फ 37% यानी 9661 करोड़ रुपए ही चुकाने की सहमति जताई है, जिसके मुताबिक करदाताओं को 63% बकाया का नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
कितना था कर्ज़
रिलायंस कैपिटल पर 38000 करोड रुपए से अधिक काकत था और चार आवेदकों ने शुरू से समाधान योजना के साथ बोली लगाई थी हालांकि लेनदारों की समिति ने कम बोली मूल्य होने से उन्हें न करते हुए दूसरे दौर की नीलामी आयोजित की थी जिसमें ह और टॉयलेट इन्वेस्टमेंट ने शिरकत की थी, गौरतलब है कि यह प्रक्रिया साल 2021 में रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को प्रशासनिक मुद्दों और भुगतान चौक की वजह से रिज़र्व बैंक द्वारा बर्खास्त किया गया था। उसे समय केंद्रीय बैंक में नागेश्वर राव बाई प्रशासक के रूप में नियुक्त थे और उन्होंने ही कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए फरवरी 2022 में बोलियां आमंत्रित की थी।
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