डोडा में बीती रात एक बार फिर सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो गई, हालांकि अंधेरे का फायदा उठाकर आतंकी घने जंगल में भाग निकले जिसके बाद बुधवार भोर होने के साथ ही फिर से तलाशी अभियान शुरू किया गया, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सेना प्रमुख से डोडा में हुई घटना की जानकारी ली है।
आतंकियों की तलाश के लिए सुरक्षाबल डोडा के देसा स्थित जंगलों को घेरकर सघन तलाशी अभियान चला रहे हैं। आतंकवादियों की खोज के लिए पैरा कमांडो, डॉग स्क्वायड के साथ हेलिकॉप्टर व ड्रोन की मदद भी ली जा रही है।
आपको बत दें कि डोडा के देसा के जंगल में सोमवार को हुई मुठभेड़ में एक कैप्टन समेत चार जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही आतंकियों की तलाश के लिए सुरक्षाबल का गहन सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि, आतंकियों की मौजूदगी की पुख्ता सूचना के बाद राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर स्थित देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों की आतंकियों के साथ देर शाम को मुठभेड़ हुई। करीब 20 मिनट तक ये मुठभेड़ चली और आतंकियों ने मौके से भागने की कोशिश की, लेकिन चुनौतीपूर्ण इलाके और घने जंगल के बावजूद कैप्टन के नेतृत्व में जवानों ने उनका पीछा किया।
सुरक्षा बलों को अपनी ओर आते देख घने जंगल व धुंध की आड़ लेते हुए आतंकी सुरक्षित ठिकानों पर घात लगाकर बैठ गए और तब तक गोलीबारी नहीं की जब तक सुरक्षा बल के जवान उनके नजदीक नहीं पहुंचे। रात करीब 9 बजे जैसे ही सुरक्षा बल थोड़ा आगे बढ़ा तो घात लगाए बैठे आतंकियों ने फायरिंग कर दी। हालांकि सुरक्षा बलों ने भी दूसरी ओर कड़ा जवाब दिया लेकिन तब तक पांच सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में कैप्टन समेत चार जवान शहीद हो गए।
वहीं डोडा में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ग्रुप ने ली है जो जैश-ए-मोहम्मद का सहयोगी संगठन है| बता दें कि कश्मीर टाइगर्स ने ही 9 जुलाई को कठुआ में सेना के काफिले पर हुए हमले की भी जिम्मेदारी ली थी।
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