गब्बर के नाम से मशहूर.. क्रिकेटर टीम इंडिया के दुलारे… शिखर धवन ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया है… भारतीय क्रिकेट फैंस को तब झटका लगा… जब अनुभवी शिखर धवन ने डॉमेस्टिक और इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया
शिखर धवन काफी मस्त मौला और खुश मिजाज इंसान हैं। मैदान पर भी वह मस्ती करते हुए नजर आते थे… लेकिन उनकी मस्ती मैदान पर नजर नहीं आएगी.. वीडियो शेयर कर अपनी रिटायरमेंट स्पीच में धवन ने दिल की बात कही… इस दौरान ‘गब्बर’ भावुक भी नजर आए… तो शिखर धवन के 14 साल के क्रिकेटिंग करियर का अंत हो चुका है. उन्होंने इंटरनेशनल और घरेलू क्रिकेट से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी है. इस सुनहरे सफर के दौरान धवन के बल्ले से कई बेहतरीन पारियां निकलीं. इसके दम पर उन्होंने कई रिकॉर्ड्स बनाए.
धवन पिछले दो साल से टीम इंडिया से बाहर चल रहे थे. बीसीसीआई ने पिछले साल कॉन्ट्रैक्ट से भी रिलीज कर दिया था. इसके साथ ही टीम इंडिया में उनकी वापसी का रास्ता लगभग बंद हो चुका था. हालांकि, धवन इससे ज्यादा परेशान नहीं हुए, लेकिन पिछले दो साल में घटी एक घटना ने उन्हें तोड़कर कर रख दिया. इसमें धवन अपने जीवन के सबसे अनमोल चीज को गंवा बैठे. यहां हम बात कर रहे हैं उनके बेटे जोरावर की. रिटायरमेंट के बाद धवन ने एक बार फिर से अपने बेटे को याद किया. इससे पहले भी वो कई बार उनके लिए जोरावर के महत्व के बारे में बता चुके हैं. हाल ही में एक पॉडकास्ट पर उन्होंने खुलासा किया था कि वो 6 महीने से अपने बेटे से मुलाकात नहीं कर पाए हैं. वो अपने बेटे से वीडियो कॉल पर बातें करते हैं. धवन का बेटा उनकी पूर्व पत्नी आएशा के साथ ऑस्ट्रेलिया में रहता है और इच्छा जताई थी कि उनका बेटा कभी भारत आए.
धवन ने 2012 में ऑस्ट्रेलिया की आएशा मुखर्जी से शादी की थी और 2014 में उनके बेटे ने जन्म लिया था. अगले ही साल वो परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया में रहने लगे थे. हालांकि, ज्यादातर समय वो टीम इंडिया के साथ ही बिताते थे. आएशा और धवन के रिश्ते में खटास आई और शादी के 9 साल बाद दोनों ने इस रिश्ते को खत्म कर दिया. वहीं 2023 में धवन ने मानसिक प्रताड़ना के आधार पर आधाकारिक रूप से तलाक ले लिया. इसके बाद से ही वो अपने बेटे जोरावर से दूर हो गए.
धवन ने वीडियो में कहा, ‘मेरे मन में हमेशा एक लक्ष्य था कि भारत के लिए खेलना और मैंने बहुत से लोगों की बदौलत इसे हासिल किया। सबसे पहले मेरा परिवार, मेरे बचपन के कोच तारक सिन्हा और मदन शर्मा, उनके मार्गदर्शन में मैंने क्रिकेट सीखा। फिर मेरी पूरी टीम, जिसके साथ मैंने सालों तक खेला। सभी का प्यार और समर्थन मिला। जैसा कि कहा जाता है कि कहानी में आगे बढ़ने के लिए आपको पन्ने पलटने पड़ते हैं। इसलिए, मैं भी ऐसा कर रहा हूं, मैं अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर रहा हूं और अब जब मैं अपनी क्रिकेट यात्रा को अलविदा कह रहा हूं, तो मुझे संतुष्टि है कि मैंने अपने देश के लिए बहुत कुछ खेला। मैं वास्तव में मुझे यह अवसर देने के लिए बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) और डीडीसीए (दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन) और मेरे सभी प्रशंसकों को उनके प्यार और समर्थन के लिए आभारी हूं। मैं अपने आप से बस यही कहता हूं कि इस बात से दुखी मत होना कि तुम दोबारा अपने देश के लिए नहीं खेलोगे, बल्कि हमेशा खुश रहो कि तुम अपने देश के लिए खेले। और यह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मैंने खेला।”
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