पीड़िता के मुताबिक, जब बेटा छोटा था, वह पिता के बारे में पूछता था। इस पर उसे डांटकर चुप करा देती थीं। उम्र के साथ उसके सवाल बढ़ते गए। वह अपनी पहचान पूछता था। बेटे की जिद पर मां ने दुष्कर्मियों को सजा दिलाने का निश्चय किया।
छोटे भाई के तो पिता, बुआ और भाई सब हैं, पर मेरा पिता कौन है… दुष्कर्म से जन्मे बेटे के इसी सवाल ने 27 साल तक चुप रही पीड़िता को आखिरकार इंसाफ के लिए लड़ने को मजबूर किया। बेटे की जिद पर उन्होंने दरिंदों को सजा दिलाने की ठानी। मार्च 2021 में शिकायत दर्ज करने से शुरू हुई उनकी लड़ाई 21 मई 2024 को मुकाम पर पहुंची, जब दो सगे भाइयों नकी हसन उर्फ ब्लेडी ड्राइवर और गड्डू को कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई।
शाहजहांपुर में पीड़िता थाना सदर बाजार क्षेत्र के एक मोहल्ले में अपनी बहन-बहनाई के घर रहती थीं। साल 1994 में, 12 वर्ष की उम्र में, परिचित दो भाइयों की दरिंदगी का शिकार होने के बाद वह गर्भवती हो गई थीं। उसने 13 साल की उम्र में बेटे को जन्म दिया। दरिंदों की धमकियों के डर से उसने पुलिस से शिकायत नहीं की, बल्कि बेटे को परवरिश के लिए एक रिश्तेदार को सौंप दिया था। इसके बाद उनकी शादी करवा दी गई, पर अतीत ने पीछा नहीं छोड़ा। घटना का पता चलने पर पति ने उन्हें छोड़ दिया।
दोनों दरिंदों को सजा सुनाए जाने के बाद, बुधवार को फोन पर बातचीत में पीड़िता ने बताया कि शादी टूटने के बाद वह अपने पति से जन्मे बेटे को लेकर लखनऊ जाकर बस गईं। दरिंदगी के बाद जन्मा बेटा 2012 में उन्हें तलाश करते हुए उनके पास पहुंचा। पीड़िता के मुताबिक, बेटा छोटा था तब वह पिता के बारे में पूछता था। इस पर उसे डांटकर चुप करा देती थीं। उम्र के साथ उसके सवाल बढ़ते गए। वह अपनी पहचान पूछता था।
बेटा कहता था कि आप कहती हो कि मेरे पिता सेना में थे, पर मैं कौन हूं। उसके सवालों के जवाब उनके पास नहीं थे। जानकारी नहीं देने पर उसने अपनी मां से दूरी बनानी शुरू कर दी। कई महीने तक दोनों एक-दूसरे के सामने नहीं पड़े। बाद में वह सच बताने पर मजबूर हो गईं। इसके बाद बेटे ने हौसला दिया और जिंदगी तबाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कराने की हिम्मत बंधाई।
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