सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. तिथि के मुताबिक, इस बार नाग पंचमी 9 अगस्त को पड़ रही है. हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है. हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है. भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं. इसी तरह उज्जैन में भी एक मंदिर, जिसका संबंध महाकाल मंदिर से है.
उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर विख्यात है. यह एक रहस्यमयी मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक दिन आम लोगों के लिए खुलता है. इसी एक दिन यहां आकर भक्त नागदेवता के दर्शन कर सकते हैं, बाकी समय यह मंदिर बंद रहता है. आपको जानकर हैरानी होगी यह मंदिर महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. खास बात ये कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है.
माना जाता है कि मालवा साम्राज्य के परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिंधिया परिवार के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा को नेपाल से यहां लाकर स्थापित किया गया था. इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और स्वामी कार्तिकेय समेत विराजमान हैं. मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी हैं.
सूत्रों के मुताबिक इस बार नाग पंचमी के अवसर पर नागचंद्रेश्वर के पट 8 अगस्त की रात 12 बजे खोले दिये गये थे, जो 9 अगस्त की रात 12 बजे तक खुले रहेंगे. ऐसे में भक्त 24 घंटों तक भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे. माना जाता है कि जो भक्त इस मंदिर के दर्शन करता है, उसे कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. यही कारण है कि मंदिर के खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है.
मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने शिव शंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया. मान्यता है कि उसके बाद से नागराज तक्षक ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया. लेकिन, महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न न हो. अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं. शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है.
महाकाल वन मे अर्तिप्राचीन गणेश मंदिर के पुजारी चमु गुरू ने बताया यह मंदिर काफ़ी प्राचीन है. मंदिर के खुलने का इंतज़ार साल भर श्रद्धालु करते हैं. मान्यता है कि अगर किसी के कुंडली में कालसर्प दोष हो और वो इस मंदिर के दर्शन करले तो केवल दर्शन मात्र से उसके दोष समाप्त हो जाते हैं, इसलिए लाखों कि संख्या मे श्रद्धालुओं का इस मंदिर में जनसैलाब उमड़ता है.
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