तिरंगा मतबल देश की शान बान और आन. तिरंगे कितना महत्वपूर्ण है ये एक भारतीय बखूबी जानता है. कम ही लोग जानते हैं कि तिरंगे को पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था. 2 अगस्त 1876 को उनका जन्म हुआ था. आइए जानते हैं उनके बारे में, साथ ही जानते हैं कैसे किया तिरंगे को डिजाइन
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को तो सब जानते हैं। हमारे प्यारे तीन रंगों वाले तिरंगा झंडा का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वैंकेया की आज (2 अगस्त) को जयंती है। पिंगली वैंकेया वही शख्स थे, जिन्होंने काफी सोच विचार कर भारत के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन तैयार किया, जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था। तिरंगा झंडा डिजाइन करना इतना भी आसान नहीं था। इसके लिए पिंगली वेकैंया ने पांच सालों तक दुनियाभर के राष्ट्रीय झंडों की स्टडी की। इसके बाद उन्होंने करीब 30 डिजाइन पेश किए, जिसमें से तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुना गया।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने की कोशिशें पहले भी हो चुकी थीं, लेकिन इसको बनाने का श्रेय आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया को जाता है। पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक भी थे। दरअसल कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। गांधी ने ही उनसे भारत के लिए एक झंडा बनाने को कहा था।
वेंकैया ने 1916 से 1921 तक लगभग पांच सालों तक दुनियाभर के देशों के झंडों का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय ध्वज के लिए लगभग 30 डिजाइन पेश किए गए, जिसमें हरे और लाल रंग की दो पट्टियां थीं और ध्वज के केंद्र में महात्मा गांधी का चरखा था। पहली बार वेंकैया ने 1921 में कांग्रेस के अधिवेशन में गांधी से मिलकर लाल और हरे रंग से बनाया हुआ झंडा दिखाया।
इसके बाद वेंकैया के द्वारा तैयार किया गया दो पट्टियों और गांधी के चरखे वाला झंडा प्रचलन में आ गया। कांग्रेस के अधिवेशन में इसी झंडे को लगाया जाने लगा। इसी बीच जालंधर के लाला हंसराज ने वेकैंया से मुलाकात की और उन्हें झंडे को लेकर कुछ सुझाव दिए। लाला हंसराज ने झंडे के बीच में एक चक्र चिन्ह बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद गांधी ने वेकैंया को सुझाव दिया कि वो इस झंडे में शांति के प्रतीक के रूप में सफेद रंग को भी शामिल करें। यानी तिरंगे में चक्र का क्रेडिट लाला हंसराज को जाता है तो सफेद पट्टी का गांधी को।
भारतीय ध्वज आगे भी अपडेट होता रहा। ये साल था 1931 जब कांग्रेस ने केसरिया, सफेद और हरे रंग से बने झंडे को स्वीकार किया। हालांकि इस समय तक झंडे में अशोक चक्र नहीं था बल्कि चरखा था। इसी साल तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव पास किया गया। ये झंडा वर्तमान तिरंगा से मेल खाता था। 16 सालों तक कांग्रेस समते देशभर में इसी झंडे का इस्तेमाल होता रहा। इसके बाद संविधान सभा ने 21 जुलाई 1947 सैंतालीस को इस झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया। भारत की आजादी के बाद बस इसमें एक बदलाव और हुआ और चरखे की जगह अशोक चक्र को शामिल किया गया।
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