टाइगर पटौदी ने भारतीय टीम के लिए 46 छियालीस टेस्ट मैच खेले. उन्हें तीन मैचों के बाद ही सीधे कप्तान बना दिया गया था. इसके बाद उन्होंने 40 मुकाबलों में भारतीय टीम की कमान संभाली थी. पटौदी ने एक हादसे में अपनी एक आंख गंवा दी थी. इसके बाद उन्होंने एक आंख से ही करीब 14 साल तक क्रिकेट में जमकर गेंदबाजों की धुलाई की.
अपने टेस्ट डेब्यू से पहले काउंटी सीजन के दौरान टाइगर पटौदी के साथ इंग्लैंड के होव शहर में एक भयानक सड़क हादसा हुआ, जिसमें उनकी एक आंख पूरी तरह से काम करना बंद चुकी थी. उस हादसे में कार का शीशा उनकी दाईं आंख में जा घुसा और आंख की रोशनी चली गई थी. एक आंख की रोशनी गंवा चुके पटौदी को डॉक्टरों ने क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था, लेकिन पटौदी ने हार नहीं मानी. हादसे के पांच महीने के बाद 1961 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में अपना टेस्ट डेब्यू किया था.
सिर्फ 3 टेस्ट के बाद बन गए थे कप्तान
अपनी पहली सीरीज में ही एक शतक और अर्द्धशतक जड़ने के बाद टाइगर पटौदी को भारतीय टीम के अगले वेस्टइंडीज दौरे के बीच में ही सीधा कप्तान बना दिया गया. महज 21 साल 77 दिन की उम्र में कप्तानी कर उन्होंने सबसे युवा कप्तान होने का गौरव हासिल किया था. सिर्फ 3 टेस्ट मुकाबलों के अनुभव के बाद ही वह सीधे कप्तान बन गए थे. दरअसर, नारी कॉन्ट्रैक्टर उस सीरीज में भारत के कप्तान थे, लेकिन उनके चोटिल होने के बाद टाइगर को टीम की कमान दे दी गई जो पहले दो टेस्ट में खेले भी नहीं थे.
मंसूर अली खान पटौदी (बाएं)
पटौदी उसके बाद लंबे समय तक भारतीय टीम के कप्तान बने रहे. उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की, जिसमें 9 में जीत और 19 में हार मिली. पटौदी की ही कप्तानी में भारतीय टीम ने 1968 में न्यूजीलैंड में अपनी पहली विदेशी जीत भी दर्ज की थी. टाइगर पटौदी ने 1975 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में अपने शानदार करियर का अंत किया.
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