अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है…अयोध्या के राम मंदिर को लेकर पूरे देश में जश्न का माहौल है. हर कोई दिवाली मना रहा है…पूरा देश दियों की रोशनी से जगमगा रहा है… राम मंदिर को लेकर न केवल देश के भीतर बल्कि विदेश में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
तो 500 साल काा इंतजार अब खत्म हो रहा है…. अयोध्या के राम मंदिर के लिए आम नागरिकों से लेकर विभिन्न राज्यों की तरफ से योगदान दिया गया था… राज्यों ने जिस तरह मंदिर के लिए योगदान दिया है, उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल की धारणा साफ झलकती है….
राम मंदिर के निर्माण में राजस्थान के नागौर के मकराना का इस्तेमाल हुआ है… मकराना के मार्बल से ही राम मंदिर के गर्भगृह में सिंहासन बनाया गया है…. भगवान श्रीराम के सिंहासन पर सोने की परत चढ़ाई गई है…. गर्भगृह और फर्श में मकराना का सफेद मार्बल लगा है… मंदिर के पिलर को बनाने में भी मकराना मार्बल का इस्तेमाल हुआ है.
मंदिर में देवताओं की नक्काशी कर्नाटक के चर्मोथी बलुआ पत्थर पर की गई है… इसके अलावा प्रवेश द्वार की भव्य आकृतियों में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है… गुजरात की तरफ से 2100 किलोग्राम की अस्तधातु घंटी दी गई है.
गुजरात के अखिल भारतीय दरबार समाज द्वारा 700 किलोग्राम का रथ भी उपहार स्वरूप दिया गया है. भगवान श्रीराम की मूर्ति बनाने के लिए काला पत्थर कर्नाटक से आया है. अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और हाथों से बनीं फैब्रिक्स आई हैं.
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