लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अजित पवार इन दिनों पिंक कोट में घूमते नजर आ रहे हैं. पवार का यह गुलाबी कोट राज्य के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय भी बना हुआ है. कोई इसे किस्मत बदलने के लिए की जाने वाली कोशिश बता रहा है तो कोई इसे राजनीतिक समीकरण को साधने के रूप में देख रहा है. अजित का यह पिंक कोट इसलिए भी सुर्खियों में है, क्योंकि अब से कुछ महीने बाद राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं…
महाराष्ट्र में पिछले हफ्ते विधानपरिषद के चुनाव हुए थे, उस दिन अजित पवार पहली बार पिंक कोट में नजर आए थे. इस चुनाव में अजित गुट ने चौंकाते हुए सभी दोनों सीट पर जीत हासिल कर ली. अजित इसके बाद अपने विधायकों के साथ सिद्धिविनायक मंदिर गए. वहां पर भी उन्हें पिंक कोट पहने हुए ही देखा गया. हाल ही में महिलाओं के एक कार्यक्रम में भी अजित को पिंक कोट में ही देखा गया. शनिवार को स्वारगेट कार्यक्रम में भी अजित पिंक कोट पहनकर ही भाग लेने पहुंचे.
स्थानीय मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, अजित पवार ने भविष्य की राजनीति को देखते हुए 12 पिंक कोट तैयार करवाएं है. यानी आने वाले दिनों में अजित अब पिंक कोट में ही दिख सकते हैं. इतना ही नहीं, पार्टी के हर कार्यक्रम में पिंक कलर को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया है.
vo2- महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में अजित के गुलाबी जैकेट के चर्चा में आने के बाद शरद गुट ने तंज कसा है. शरद गुट के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा है कि अजित दा पिंक कोट के जरिए पार्टी और अपनी किस्मत बदलने की कोशिश कर रहे हैं.शरद गुट के सांसद अमोल कोल्हे ने कहा कि दादा महाराष्ट्र का माहौल गुलाबी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोट से यह नहीं हो पाएगा. उन्होंने कहा कि महायुति की सरकार भला न करो और भला न देखो के फॉर्मूले पर काम कर रही है.
लोकसभा चुनाव में हार के बाद से अजित पवार अपनी इमेज बदलने में जुटे हैं. इसी कड़ी में अजित ने यह नया प्रयोग किया है. कहा जा रहा है कि पहले अजित कार्यकर्ताओं से सख्ती से पेश आते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है.
अजित पवार ने हाल ही में अपने चुनावी रणनीति बनाने का जिम्मा डिजाइन बॉक्स को दिया है. कंपनी पहले डीके शिवकुमार और अशोक गहलोत के लिए भी रणनीति बना चुकी है. कंपनी का दोनों जगहों पर पिंक थीम ही था. ऐसे में कहा जा रहा है कि अजित के पिंक कलर को तरजीह देने के पीछे कंपनी का ही थीम है.
पिंक कलर महिलाओं को जोड़ने का एक सुलभ तरीका है. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहना स्कीम की शुरुआत की है. अजित वित्त मंत्री हैं और वो इस क्रेडिट को छोड़ना नहीं चाहते हैं. सीएसडीएस के मुताबिक हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महिलाओं के 27 प्रतिशत वोट मिले, जबकि शिवसेना (शिंदे) और अजित (एनसीपी) को सिर्फ 16 प्रतिशत वोट मिले
लोकसभा चुनाव में हार के बाद अजित को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. हाल ही में संघ की पत्रिका ऑर्गेनाइजर ने गठबंधन में अजित को लेने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था. ऐसे में कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले कुछ खेल भी हो सकता है.अजित पवार के सामने सीट शेयरिंग का मुद्दा भी चुनौती बना हुआ है. लोकसभा के रिजल्ट के बाद पवार की बार्गेनिंग पावर कम हुई है. ऐसे में यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि पवार इस चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ेंगे?
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