पुरी स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के खजाने के भीतरी कक्ष को 46 साल बाद जांच के लिए रविवार को फिर से खोला गया. मार्च 2018 में एक जनहित याचिका के बाद उड़ीसा हाईकोर्ट ने एएसआई को रत्न भंडार की संरचनात्मक स्थिति का निरीक्षण करने और एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था.
भगवान जगन्नाथ मंदिर के दुर्लभ खजाने को आज खोल दिया गया है. इस खजाने को इससे पहले साल 2018 में खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन फिर कोशिश बंद कर दी गई. पिछली बार साल 1985 में इस तहखाने को खोला गया था. इस दौरान राजाओं के मुकुट से लेकर खजानों से भरी तिजोरियां देखने को मिली थीं. दरअसल, रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने-पीने के बर्तन रखे हुए हैं.
खजाने में वो चीजें हैं, जो उस दौर के राजाओं और भक्तों ने मंदिर में चढ़ाए थे. 12वीं सदी के बने मंदिर में तब से ये चीजें रखी हुई हैं. इस भंडारघर के दो हिस्से हैं, एक बाहरी और एक भीतरी भंडार. खजाने के बाहरी हिस्से को समय-समय पर खोला जाता है. त्योहार या अन्य किसी भी मौके पर खोलकर गहने निकालकर भगवान को सजाया जाता है. रथ यात्रा के समय ये होता ही है. रत्न भंडार का अंदरूनी चैंबर पिछले 46 छियालीस साल से बंद है. आखिरी बार इसे साल 1978 अठहत्तर में खोला गया था. वहीं साल 1985 पचासी में भी इन चैंबर को खोला गया, लेकिन इसका मकसद क्या था और भीतर क्या-क्या है, इस बारे में कहीं कुछ नहीं बताया गया.
साल 2018 में विधानसभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि आखिरी बार यानी 1978 अठहत्तर में इसे खोलने के समय रत्न भंडार में करीब साढ़े 12 हजार भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है) सोने के गहने थे, जिनमें कीमती पत्थर जड़े हुए थे. साथ ही 22 हजार भरी से कुछ ज्यादा के चांदी के बर्तन थे. साथ ही बहुत से और गहने थे, जिनका तब वजन नहीं किया गया था.
साल 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने सरकार को निरीक्षण के लिए मंदिर का ये कक्ष खोलने का निर्देश दिया था. हालांकि चैंबर की चाबियां नहीं मिल सकी थीं, जिससे पूरे राज्य में नाराजगी देखने को मिली थी. बीते लोकसभा चुनाव में रत्न भंडार (खजाना कक्ष) की गुम हुईं चाबियों का मुद्दा उठा था.
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर ओडिशा के लोगों में गहरी आस्था है. जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में रत्न भंडार स्थित है. रत्न भंडार में सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दान में दिए गए बहुमूल्य आभूषण रखे हुए हैं. इसे आखिरी बार 14 जुलाई 1985 पचासी को खोला गया था.
रत्न भंडार का गेट खोलने के दौरान सुरक्षा के लिहाज से सांप पकड़ने वालों को भी बुलवाया गया क्योंकि आंतरिक रत्न भंडार से अक्सर फुफकारने की आवाजें आती रहती हैं. ये भी मान्यता है कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है. रत्न भंडार खोलने का मकसद वहां मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग है, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसे डिटेल होंगे, जबकि मरम्मत कार्य के लिए इंजीनियर्स रत्न भंडार का सर्वे करेंगे.
ओडिशा मैगजीन में बताया गया है कि खजाने में भगवान जगहन्नाथ के सोने से बने मुकुट, सोने के तीन हार (हरिदाकंठी माली) हैं. जिनमें से प्रत्येक का वजन 120 तोला है. रिपोर्ट में भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के सोने सेबने श्रीभुजा और श्रीपयार का भी उल्लेख किया गया है, इसके मुताबिक आंतरिक खजाने में लगभग 74 सोने के आभूषण हैं, जिसमें प्रत्येक का वजन 100 तोला से ज्यादा है. सोने, हीरे, मूंगा और मोतियों से बनी प्लेटें हैं. इसके अलावा 140 से ज्यादा चांदी के आभूषण भी खजाने में रखे हुए हैं.
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