प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से बताया गया है कि इस महीने की 26 तारीख को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होना है. लेकिन सरकार गठन के एक सप्ताह बाद भी 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर पद को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एनडीए गठबंधन का उम्मीदवार कौन होगा… वहीं, विपक्षी INDIA गठबंधन के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि लोकसभा स्पीकर का पद एनडीए के लिए किंगमेकर्स साबित हुए जदयू या टीडीपी में से किसी को मिलना चाहिए. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा 240 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई.
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखेगी… वहीं, डिप्टी स्पीकर का पद बीजेपी अपने एनडीए सहयोगी दल को देगी… एनडीए में शामिल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए भाजपा का समर्थन किया है. हालांकि, टीडीपी ने सुझाव दिया है कि एनडीए गठबंधन के सहयोगियों से चर्चा के बाद सर्वसम्मति से एक उम्मीदवार का नाम तय करना चाहिए.
टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डीने कहा, “एनडीए के साथी एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा… एक बार आम सहमति बन जाने के बाद हम उस उम्मीदवार को चुनाव में उतारेंगे और टीडीपी सहित सभी सहयोगी पार्टी उस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.” फिलहाल इस पद के लिए आंध्र प्रदेश भाजपा की नेता दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का नाम सबसे आगे है. वहीं, अमलापुरम से टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी को भी इस स्पीकर पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
वहीं… विपक्षी INDIA गठबंधन में शामिल शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने कहा, “लोकसभा स्पीकर पद का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस बार 2014 और 2019 वाली स्थिति नहीं है. वर्तमान की एनडीए सरकार स्थिर नहीं है. कुछ भी हो सकता है. मैंने सुना है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु ने स्पीकर पद मांगा है. ये उनकी सही मांग है.
INDIA ब्लॉक ने स्पीकर पद के लिए भी अपना उम्मीदवार खड़ा करने का इरादा व्यक्त किया है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि विपक्षी गठबंधन को डिप्टी स्पीकर का पद मिलता है तो वह अपना उम्मीदवार उतारने से पीछे हट सकता है. संजय राउत ने भी कहा है कि नियमानुसार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए.
दरअसल, 17वीं लोकसभा से ही डिप्टी स्पीकर का पद खाली है. ऐसे में विपक्ष को उम्मीद है कि इस बार डिप्टी स्पीकर का भी चुनाव होगा. डिप्टी स्पीकर का पद हमेशा से विपक्षी दलों के पास रहा है.
बतादें कि…सदन के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने का जिम्मा स्पीकर का होता है. सदस्यों की अयोग्यता पर भी स्पीकर की राय अहम होती है. अगर किसी विधेयक पर बराबर वोट पड़े तो स्पीकर का वोट निर्णायक साबित होता है.
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