बिहार में पुल गिरने का सिलसिला जारी है….4 जुलाई को फिर पुल गिरा. लिहाजा इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.
पिछले 3 जुलाई को एक ही दिन में 5 पुल गिर गए तो राजनीति और गरमा गई…. सियासत दां एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने लगे… अंग्रेजों से लेकर मुगलों तक का जिक्र होने लगा…. इस बीच सरकार बैठकों पर बैठकें कर रही है… आदेश के बाद जांच भी जारी है…. दूसरी तरफ पुलों का गिरना बदस्तूर जारी है…. राजनीति में दोषारोपण अगल बात है… लेकिन पुल का गिरना एक सचाई है और इससे जनता भी परेशानी हो रही है.. तो सवाल दीगर है कि बिहार में एक ही समय में इतनी संख्या में पुल जलसमाधि क्यों ले रहे हैं?
बड़ी संख्या में पुलों के जलसमाधि लेने पर विपक्ष हमलावर है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया लिखा- ? जुलाई यानी आज सुबह बिहार में एक पुल और गिरा. कल ? जुलाई को ही अकेले ? पुल गिरे, ?? जून से लेकर अभी तक ?? पुल ध्वस्त हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर एकदम खा़मोश एवं निरुत्तर हैं. सोच रहे हैं कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें?
आंकड़ा हैरान करने वाला है. बिहार में एक ही महीने में इतने पुल क्यों गिर गए. बिहार में ही पुल इतने कमजोर क्यों हैं? कुछ निर्माणाधीन पुल गिरे, कुछ हाल ही में बनाए गए थे, कुछ इतने पुराने कि अंग्रेजों के जमाने के. बिहार में इसके पहले भी पुल गिरे हैं. निर्माणाधीन पुल भी गिरा है. जांच कमिटियां बनीं, कुछ इंजीनियर और अन्य अधिकारियों को निलंबित भी किया गया है, लेकिन नतीजा सिफर.
पुलों के टूटने से बिहार में नए पुलों की गुणवत्ता, निर्माण सामग्री में अनियमितता से लेकर भ्रष्टाचार को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं तो पुराने पुलों के रखरखाव में बरती गई उपेक्षा सामने आ रही है. हर गिरते पुल के साथ एक जांच कमिटी बना दी जा रही है. वैसे तो महीनों से यहां पुल टूट रहे हैं, लेकिन पिछले 15 दिनों में यहां अब तक 12 पुल टूट गए हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन घटनाओं को काफी गंभीरता से लिया है. उन्होंने अधिकारियों के साथ पुलों के रखरखाव को लेकर समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने पथ निर्माण विभाग की तरह ग्रामीण कार्य विभाग को भी रखरखाव नीति तैयार करने का निर्देश दिया है.
वहीं बिहार में पुलों के गिरने का यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने बिहार में पुल पुलियों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की मांग की गई है.
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी यादव पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में यह विभाग राजद के पास था, तेजस्वी यादव इसके मंत्री थे. जबसे जेडीयू के पास विभाग आया उसके बाद चुनाव था और अभी 20 दिन का समय मिला है. समझा जा सकता है इसका जिम्मेदार कौन है? जिम्मेवारी 20 दिन वाले पार्टी की है या डेढ़ साल वाले की?
तो सवाल येही है… कि इन पुलों के गिरने के पीछे की सच्चाई क्या.. है… क्या पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर आरोप ही लगाते रहेंगे… या जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई भी होगी…
Discussion about this post