लोकसभा चुनाव के तैयारियों के बीच नेताओं के साथ-साथ पार्टियों का पाला बदलने का सिलसिला जारी है…ऐसे में बीजेपी एक जबरदस्त प्लान बना रही है…
कांग्रेस और BJP दोनों ही छोटे-छोटे दलों को अपने साथ लाने में जुटी हैं… खासकर बीजेपी रीजनल, सीजनल, ग्रास रूट लेवल तक के दलों को NDA में शामिल करवा रही है….. क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती है कि किसी भी सीट पर कोई दल वोटों का बिखराव करे….
2019 में इन छोटी-छोटी पार्टियों ने देशभर में 188 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. इनमें से 51 सीट जीतने वाले 14 दल इस बार NDA का हिस्सा हैं. वहीं, 78 सीटें जीतने वाली 16 पार्टियां इंडिया गठबंधन में शामिल हैं, जबकि 59 सीटें जीतने वाली 8 पार्टियां किसी भी गठबंधन में नहीं हैं.
इस बार अकेले चुनाव लड़ने वाली पार्टियों में से 4 दक्षिण भारत की हैं…. इनमें YSR कांग्रेस, BRS, AIMIM और AIADMK हैं… जबकि उत्तर भारत में BJD, BSP, AIUDF और शिरोमणि अकाली दल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.
भारतीय राजनीति में आज गठबंधन सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है… ऐसे में बीजेपी, एनडीए के 400 सीट जीतने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर रही है… बीते 6 लोकसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालें.. तो 1998 में अन्य दलों के 41 फीसदी सांसद जीते थे और गठबंधन की सरकार बनी थी.
इसी तरह 1999 में अन्य दलों के 45 फीसदी सांसद जीते थे… जबकि 2004 में अन्य दलों के 48 प्रतिशत सांसद जीते और UPA की सरकार बनी. 2009 में भी अन्य दलों के 41 प्रतिशत सांसद जीते और दोबारा UPA सरकार बनी. हालांकि, 2014 में बीजेपी ने अकेले स्पष्ट बहुमत हासिल किया…
2019 में भी यही हुआ… इस बार बीजेपी की सीटें और अगर बीते 6 चुनाव नतीजों का औसत निकालें तो भी अन्य दलों के 42 प्रतिशत सांसद जीते… यह ही कारण है कि बीजेपी के अकेले दम पर स्पष्ट जनादेश हासिल करने के बावजूद, देश में एनडीए गठबंधन की सरकार है.. और इस बार भी बीजेपी के लिए हर क्षेत्रीय और छोटी-छोटी पार्टियों की अहमियत बरकरार है…..
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