तेलंगाना की कांग्रेस सरकार एक नई मुश्किल में फंसती दिख रही है. दरअसल, तेलंगाना सरकार राज्य का नया प्रतीक चिन्ह लाने की तैयारी कर रही है. आरोप है कि नए प्रतीक चिन्ह से चारमीनार और काकतीय कला थोरानम को हटाया जा सकता है.
तेलंगाना की स्थापना की 10वीं वर्षगांठ से पहले, राज्य के स्टेट सिंबल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. खबर आई थी कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सरकार मौजूदा राजकीय प्रतीक से चारमीनार और काकतीय राजवंश की मेहराब (आर्क) को हटाने पर विचार कर रही है. इस फैसले का विपक्ष ने जमकर विरोध कर रहा है. वहीं, मुख्यमंत्री ने साफ किया कि तेलंगाना के राज्य प्रतीक पर अंतिम फैसला विधानसभा में चर्चा के बाद ही लिया जाएगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार की 2 जून को तेलंगाना स्थापना दिवस समारोह के हिस्से के रूप में नए प्रतीक, तेलंगाना तल्ली प्रतिमा और तेलंगाना राज्य गान का अनावरण करने की योजना थी. हालांकि, 2 जून को अब केवल राज्य गान रिलीज किया जाएगा. तेलंगाना के नए प्रतीक के संबंध में मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि सरकार को कलाकारों से लगभग 500 डिजाइन मिले हैं. अभी तक किसी सैंपल को फाइनल नहीं किया गया है.
तेलंगाना का प्रतीक चिन्ह एक गोलाकार मुहर है जिसमें काकतीय कला थोरानम (वारंगल गेट) और ऊपर सारनाथ शेर के साथ चारमीनार शामिल है. इसमें अंग्रेजी, उर्दू और तेलुगु में “तेलंगाना सरकार” लिखा है. चित्रकार लक्ष्मण ऐले के डिजाइन किए गए इस प्रतीक को 2 जून 2014 को के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली नई सरकार ने इसे अपनाया था. शपथ ग्रहण के बाद यह उनके द्वारा साइन होने वाली पहली फाइल थी.
सूत्रों के अनुसार, तेलंगाना के स्टेट सिंबल में पहले चारमीनार शामिल नहीं था. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सलाह पर चारमीनार को राजकीय प्रतीक में जोड़ा गया.
पिछले साल दिसंबर में तेलंगाना में कांग्रेस सरकार आने के बाद रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बने थे. सीएम रेड्डी का दावा है कि तेलंगाना को रिबिल्ड करने के लिए उनकी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि राज्य के नए प्रतीक चिन्ह के लिए अलग-अलग कलाकारों की तरफ से 500 से ज्यादा सैंपल आए हैं, लेकिन अब तक किसी पर फैसला नहीं लिया गया है. उनका कहना है कि तेलंगाना के नए प्रतीक चिन्ह पर विधानसभा में फैसला लिया जाएगा.
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