अब बात केरल की कर लेते हैं… तो इस बार बीजेपी का केरल को लेकर क्या प्लान है… ये आपको बताएंगे… कि बीजेपी केरल में कमल खिलाने के लिए क्या पैंतरे अपना रही है…..और विपक्षी पार्टियों को अकेले ही चुनौती दे रही है…
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में केरल की सभी 20 सीटों पर 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे…. बंगाल और त्रिपुरा की सत्ता गंवाने के बाद लेफ्ट का आखिरी किला केरल है… जिसके चलते उसका सारा-दारोमदार यहीं पर टिका हुआ है…. राहुल गांधी के केरल के वायनाड सीट से एक बार फिर से उतरने से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के हौसले बुलंद हैं, तो लेफ्ट के नेतृत्व वाले एलडीएफ के लिए अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है. यूडीएफ और एलडीएफ के बीच सीधी लड़ाई को बीजेपी ने त्रिकोणीय बना दिया है. इस बार बीजेपी ने अपना खाता खोलने के लिए कई दिग्गज नेताओं को उतारा है, जिसने कांग्रेस और लेफ्ट दोनों की टेंशन बढ़ा दी है….
देश में तमिलनाडु, त्रिपुरा, बिहार जैसे राज्यों में इंडिया गठबंधन में एक साथ चुनाव लड़ रहे लेफ्ट और कांग्रेस के बीच केरल में वर्चस्व की जबरदस्त लड़ाई है…. केरल सिर्फ एक ऐसा राज्य बचा है, जहां लेफ्ट और कांग्रेस दोनों मजबूत स्थिति में हैं इसलिए केरल में दोनों ही आमने-सामने हैं, लेकिन बीजेपी के पूरे दमखम के साथ उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है…. कांग्रेस 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है… और चार सीटों पर उसके सहयोगी दल चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने सभी 20 सीट पर उम्मीदवार उतार रखे हैं….
बीजेपी लेफ्ट के हिंदू वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने में लगी है, तो कांग्रेस के ईसाई समुदाय को भी साधने की कवायद कर रही. बीजेपी का वोट केरल में चुनाव दर चुनाव बढ़ रहा है, जो उसे 2024 में नई उम्मीद जगा रहा है. 2009 में बीजेपी का वोट शेयर 6 फीसदी, 2014 में 11 फीसदी और 2019 में 16 फीसदी रहा था. बीजेपी ने बीते कुछ सालों में लेफ्ट के हिंदू वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी की है. 2006 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में मिले वोट प्रतिशत से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. पिछले चुनावों में बीजेपी का केरल के नायर समुदाय में वोट बैंक बढ़ा है. सबरीमाला के मुद्दे के बाद से ही इस समुदाय का बीजेपी की तरफ झुकाव बढ़ा है.
बतादें कि… पिछले चुनाव में कांग्रेस ने केरल की 20 में से 15 सीटें अकेले जीती थीं… जो पूरे देश में किसी भी राज्य में मिली… सीटों में से सबसे अधिक सीटें थीं…. मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं में कांग्रेस की मजबूत पकड़ ही केरल में उसकी सियासी ताकत है…. राहुल गांधी केरल से चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस को सियासी संजीवनी मिली है….. इसके अलावा केसी वेणुगोपाल चुनाव लड़ रहे हैं…. कांग्रेस के उतरने से लेफ्ट के लिए काफी मुश्किलें बढ़ गई हैं. कांग्रेस के सामने 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजे को दोहराने की चुनौती है…. एनडीए बनाम इंडिया के चुनाव होने से कांग्रेस को केरल में भी सियासी फायदा होने की उम्मीद दिख रही है… और पिछली बार की तरह प्रदर्शन दोहराने का दावा किया जा रहा है…
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