जैन धर्म में महावीर जयंती का पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे भगवान महावीर उनका जन्म हुआ था। आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा महावीर जयंती का पर्व और क्या है इसका महत्व।
जैन धर्म के लोगों के लिए महावीर जयंती का पर्व बेहद खास होता है. महावीर जयंती पर जैन धर्म समुदाय के लोग प्रभात फेरी, अनुष्ठान और शोभा यात्रा का आयोजन करते हैं. महावीर जयंती का पर्व भगवान महावीर को समर्पित है. महावीर भगवान ने समाज और लोगों के कल्याण के लिए संदेश दिए थे. उन्होंने मनुष्य के लिए मोक्ष प्राप्ति के लिए पांच नियम भी स्थापित किए थे, जिनको पंच सिद्धांत कहा जाता है.
इस साल महावीर जयंती रविवार 21 अप्रैल को है. इस दिन को भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि महावीर स्वामी का जन्म करीब 599 निन्यानबे ईसा पूर्व बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था. इनका बचपन का नाम वर्धमान था. 30 साल की उम्र में इन्होंने राजपाट त्यागकर संन्यास धारण कर लिया था और अध्यात्म की राह पर चल दिए थे.
पैराणिक कथाओं के अनुसार महावीर स्वामी को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है. ये उन 24 लोगों में से हैं जिन्होंने कठिन तपस्या कर आत्मज्ञान प्राप्त किया था. ऐसा कहा जाता है कि तीर्थंकर वे लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह विजय प्राप्त कर लेते हैं.
जैन धर्म की मान्यता है कि 12 साल के कठोर मौन तप-जप के बाद भगवान महावीर ने अपनी इंद्रियों पर पूरी तरह विजय प्राप्त कर ली थी. निडर, सहनशील और अहिंसक होने के कारण उनका नाम महावीर पड़ा. 72 साल की उम्र में उन्हें पावापुरी से मोक्ष प्राप्त हुआ. महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभातफेरी, अनुष्ठान, शोभायात्रा निकलाते हैं. फिर महावीर जी की मूर्ति का सोने और चांदी के कलश जलाभिषेक किया जाता है.
इस दौरान जैन संप्रदाय के गुरु भगवान महावीर के उपदेश बताते हैं और उनपर चलने की सीख दी जाती है. इस दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं.
राजसी ठाठ छोड़ आध्यात्म की राह अपनाने वाले भगवान महावीर स्वामी ने जीवनभर मानव जाति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के रास्ते बताए. महावीर स्वामी ने 5 प्रमुख सिद्धांत बताए थे, जिन्हें पंचशील सिद्धांत भी कहा जाता है.
सत्य.
अहिंसा.
अस्तेय यानी चोरी न करना.
अपरिग्रह यानी विषय व वस्तुओं के प्रति लगाव न होना.
ब्रह्मचर्य का पालन करना.
धार्मिक मान्यता है कि भगवान महावीर के इन पांच सिद्धांतों का पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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