हनुमान जयंती चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन हनुमानजी का अवतरण हुआ था. इसलिए हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली का नाम लेने से दुख संकट भूत पिशाच कोसों दूर भाग जाते हैं.
हनुमान जयंती यानी हनुमान जन्मोत्सव के दिन भगवान हनुमान की पूजा की जाती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार ये पर्व भगवान हनुमान के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान हनुमान के मंदिरों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। साथ ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। इस साल हनुमान भगवान का जन्मदिन 23 अप्रैल को मनाया जा रहा है। यहां हम जानेंगे हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है। इसका इतिहास क्या है।
भगवान हनुमान को महावीर, बजरंगबली, अंजनीपुत्र, मारुती, पवनपुत्र और केसरीनन्दन के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं अनुसार पवनपुत्र हनुमान भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं। कहते हैं जिस पर हनुमान जी की कृपा बरसती है उन्हें जीवन में कभी संकटों का सामना नहीं करना पड़ता।
हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था तो फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है? इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार, एक बार बचपन में जब हनुमान जी को भूख लगी तो उन्हें आसमान में सूर्य दिखाई दिया जिसे वे फल जानकर खाने के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने जैसे ही सूर्य को निगलने की कोशिश की पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगा। यह बात जब इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने हनुमान जी को रोकने के लिए उन पर वज्र से प्रहार कर दिया, जिस कारण हनुमान जी मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़े।
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