गुजरात एक ऐसा शहर जिसकी मिट्टी के कड़ कड़ में देश की विविधताओं का खज़ाना है, गुजरात आकर कुछ दिन ठहरने वाला हर शक्श गुजरात के पारंपरिक परिधानों और खान पान में जैसे को ही जाते है। और यह की मशहूर जगहों की तो क्या बात करे, रण ऑफ कच्छ, नेशनल पार्क जैसे जगहें इसे भारत की कल्चर ऑफ प्राइड को बया करती है और त्योहारों में तो इसकी छवि सबसे अनोखी रहती है। आज के अपने इस लेख में हम आपको उसी छवि और वेश भूषा का वर्णन करेंगे को खासकर गुजरात के रंग बिरंगे और पारंपरिक परिधानों के गठजोड़ करेंगे। ;
चलिए फिर बिना देर किए एक नज़र डालते है इनके पारंपरिक परिधानों पर –
पुरुषो के लिए परिधान
कुर्ता
रोज़ मर्रा में पहने जाने वाले आम कुर्तो से बेहद अलग कढ़ाई और मिरर वर्क वाले कुर्तो का डिज़ाइन गुजरात की ही देन है।
धोती
गुजरात में पुरुष सफेद या हल्के रंगो की धोती पहनते है, ये एक प्रकार का कपड़े का लंबा टुकड़ा होता है जिसे कमर के चारो तरफ लपेट के, पैरो के बीच से निकलकर टक करके पहना जाता है।
केड़ीयू
ये गुजरात की एक तरह की पारंपरिक काशीदाकारी है। यह डिजाइन रंग-बिरंगे ऊनी कपड़े पर बनाई जाती है। केडियो पर आमतौर पर उन-भरत-वर्क किया जाता है।
फेंटो
या एक तरह की पगड़ी है जिसे ज्यादातर गांव में रहने वाले गुजराती पुरुषों द्वारा पहना जाता है।
चोरन
यह प्रकाश यीशु टि पांडे इसे गुजराती पुरुष पहनते हैं इसलिए धोती की तरह दिखती है सब ढीले और आरामदायक होती है।
महिलाओं के लिए परिधान
घाघरा चोली या चनिया चोली
गुजराती महिलाओं की पारंपरिक पोशाक चनिया चोली या घाघरा चोली होती है महिलाएं इसके साथ ओढ़नी भी डालती है या पोशाक ज्यादातर नवरात्रि और डांडिया फंक्शंस के दौरान ही पहनी जाती है।
चानियो
चनियो या लहंगा महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला एक रंगीन तरह कलर स्कर्ट है चानियो में शीशे और रंगीन भागों का काम होता है।
अंगिया
महिलाएं ऊपर ओर क्या चल पहनते हैं यह एक तरह का कढ़ाई वाला ब्लाउज होता है।
साड़ी
गुजराती महिलाएं अमूमन साड़ी आगे की ओर पहनते हैं उनकी साड़ी का पल्लू पीछे से आगे की ओर होता है गुजराती महिलाएं घर की चाबियां अपनी कमर में एक सिल्वर छल्ले की मदद से लगाए रखती हैं।
विशेष समारोह के लिए कपड़े
रास गरबा
गुजरात में जोड़ें में के जाने वाली एक मित्र को राज कहते हैं इसमें जोड़ियां हाथों में डांडिया लिखा नाचती है और डांस करते हुए एक दूसरे को मारती है राज कर पा नवरात्रि शादी और किसी भी अंय उत्सव के दौरान किया जाता है यह गुजरात का एक बहुत ही ट्रेडिशनल फेस्टिवल भी माना जाता है।
रास करने के दौरान महिलाएं चनिया चोली घागरा चोली ही पहनती हे साथ में एक रंगीन कमर बंद होता है इसके साथ दुपट्टा होता है जो कमर बंद से बंधा होता है। वही अगर पुरुषों की बात करें तो पुरुष, चूड़ीदार टाइप पैजामे के साथ केविया और चूड़ी पहनते हैं, केवीया एक लंबा सा फ्रिल वाला कोट होता है।
दुल्हन के परिधान
गुजरात में दुल्हन के पहनने और उसे तोफे में देने के लिए अमूमन दो प्रकार की साड़ियों का उपयोग होता है। जिन्हे पानेतर और घारचोला कहते हैं। पानेतर एक सफेद साड़ी है जिसमे लाल बांधनी बॉर्डर होता है तो वही घारचोला एक पारंपरिक लाल बांधनी साड़ी है जिसके चारों ओर बुने हुए चौकोर पैटर्न होते हैं।
दूल्हे की पोशाक
वैसे तो आज कल कई दूल्हे अपने कुर्ते के नीचे चूड़ीदार पहनते है, पर गुजरात में दूल्हे की पारंपरिक पोशाक में एक डिजाइन वाला कुर्ता होता है जिसमें जारी का काम होता है इसके अलावा धोती और पगड़ी होती है।
कच्छ की पारम्परिक पोशाक
गुजरात में कुछ की महिलाएं एक विशेष प्रकार की चोली पहनती हे जिसे आभा या कंजरी कहा जाता है। आभा ब्लाउस पर शीशे का काम के साथ साथ सोने और चांदी के धागों का काम भी होता है।
तो वही पुरुष फ्रॉक जैसे शर्ट के साथ ढीली ढाली पैंट पहनते हैं जो बटन के बजाय एक डोरी के साथ बंधी होती हैं वह कोट के अंदर लंबी आस्तीन की जैकेट पहनते हैं उसके अलावा सर फेंटों भी पहनते हैं।
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